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Gold investment के तरीकों पर अलग-अलग तरह से करना पड़ता है आयकर भुगतान, जानिए कितना लगेगा tax

September 13, 2021

नई दिल्ली। आयकर विभाग (Income tax department) ने 2020-21 के लिए आईटीआर दाखिल (ITR filing) करने की अंतिम तारीख बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2021 कर दिया है। रिटर्न भरते समय आपको अपनी कमाई से लेकर निवेश तक (from earning to investment) सभी जानकारियां देनी पड़ती हैं। अगर सोने में निवेश किया है, तो उसका खुलासा भी आईटीआर भरते समय करना होता है।

जानकारों का कहना है कि करदाता को सोने में निवेश के तरीके के आधार पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। गोल्ड बॉन्ड के जरिये सोने में निवेश करने वालों के लिए फिजिकल सोना खरीदने वालों की तुलना में अलग टैक्स देनदारी होगी। अगर आप रिटर्न भरने जा रहे हैं तो 2020-21 के लिए दिसंबर अंत तक अपनी सोने की होल्डिंग को दर्ज करना न भूलें।


फिजिकल गोल्ड…कैपिटल गेन के हिसाब से टैक्स
फिजिकल गोल्ड में निवेश करने के 36 महीने के भीतर उसे बेचने पर स्लैब के हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। सोने की बिक्री से मिलने वाला रिटर्न निवेशक की सालाना कमाई में जुड़ता है।

तीन साल बाद सोना बेचा जाता है, तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। इसमें टैक्स बिक्री से होने वाली आय के आधार पर तय होगा। इस पर कुल मूल्यांकन का 20 फीसदी टैक्स देना होगा। इसके अलावा टैक्स की राशि का चार फीसदी सेस भी लगता है।

डिजिटल गोल्ड…देना होगा 20 फीसदी कर
डिजिटल गोल्ड सोने में निवेश का नया तरीका है, जो तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसमें निवेश अलग-अलग वॉलेट और बैंक एप के जरिए संभव है। न्यूनतम एक रुपये से डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। इसमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 4 फीसदी सेस और सरचार्ज के साथ रिटर्न पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। डिजिटल गोल्ड को 36 महीने से कम समय के लिए रखने पर रिटर्न पर सीधे टैक्स नहीं लगता है।

गोल्ड ईटीएफ…टैक्स के साथ सेस भी देना होगा
गोल्ड म्यूचुअल फंड और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के जरिए भी सोने में निवेश कर सकते हैं। इसमें सोना वर्चुअल फॉर्म में होता है न कि फिजिकल स्वरूप में। दोनों पर फिजिकल गोल्ड के समान टैक्स लगता है। गोल्ड म्यूचुअल फंड या ईटीएफ के जरिए सोने में निवेश करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के लिए 20 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगता है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड…स्लैब के अनुसार चुकाना होगा कर
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) पर निवेशकों को सालाना 2.5 फीसदी ब्याज मिलता है, जिस पर स्लैब के अनुसार टैक्स देना पड़ता है। 5 साल बाद और मैच्योरिटी तक पहुंचने से पहले किसी भी समय होल्डिंग बेची जाती है, तो 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स व 4 फीसदी सेस भी लगता है।

एसजीबी के ब्याज को आय में करें शामिल
कर एवं निवेश सलाहकार स्वीटी जैन का कहना है कि ‘सोने में निवेश करना सुरक्षित माना जाता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से मिलने वाला ब्याज भी कर योग्य होता है। उसे भी अपनी आय में शामिल करें।’

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