नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) से पहले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी (Chief Minister Vijay Rupani) ने अपने पद से इस्तीफा (Resignation) दे दिया। शनिवार दोपहर तीन बजे वो राज्यपाल आचार्य देवव्रत (Governor Acharya Devvrat) से मिलने पहुंचे और अपना त्यागपत्र उन्हें सौंप दिया। इसके बाद गुजरात (Gujrat) में राजनीतिक हलचल तेज हो गई हैं।
सीएम पद से त्याग पत्र देने से पहले रूपाणी प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के साथ एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। पीएम ने शनिवार सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिए अहमदाबाद में सरदारधाम भवन का उद्घाटन किया था। करीब एक घंटे चले इस कार्यक्रम में विजय रुपाणी भी शामिल हुए थे, लेकिन दोपहर बाद करीब तीन बजे रूपाणी ने अचानक इस्तीफे का एलान कर सबको चौंका दिया।
जानकारों के अनुसार, विजय रूपाणी के इस्तीफे की सबसे बड़ी वजह कोविड महामारी है। कोरोना की दोनों लहर के दौरान सीएम और उनका मैनेजमेंट इससे निपटने में पूरी तरह से नाकाम रहा। कई बार ये भी देखने में आया कि केंद्र सरकार और प्रदेश पार्टी के दबाव के बाद उन्हें कोविड को लेकर लिए गए अपने ही फैसले वापस भी लेना पड़ा। कोविड काल के दौरान हुईं लोगों की मौतें और सरकार के कुप्रबंधन के कारण प्रदेश की जनता में भाजपा सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा था। ऐसे में पार्टी ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर लोगों के गुस्से को शांत करने की कोशिश की है।
Live – Honourable Prime Minister Shri @narendramodi ji inaugurates Sardardham Bhavan, lays foundation stone of Sardardham Phase II Kanya Chhatralayahttps://t.co/6lXW5KePB8
— Vijay Rupani (@vijayrupanibjp) September 11, 2021
विजय रूपाणी के दूसरे कार्यकाल में अधिकारी वर्ग बेहद हावी नजर आ रहा था। जिसकी शिकायत प्रदेश संगठन और कई विधायक केंद्रीय नेतृत्व को भी लगातार कर रहे थे। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री की अफसरों पर पकड़ नहीं हैं। वे अपनी मनमर्जी से फैसले लेते हैं, विधायकों और किसी भी बड़े नेताओं की बातों को भी दरकिनार कर देते हैं। वहीं पिछले दिनों ये भी सामने आया था कि राष्ट्रीय स्वयं संघ भी रूपाणी के कामकाज के तरीकों से खुश नहीं है।
पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी गुजरात प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल और सीएम रूपाणी के बीच मनमुटाव की खबरें आम थीं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी कई बार ये देखने में भी आया कि सत्ता और संगठन में आपसी समन्वय नहीं है। यही वजह है कि सीएम रूपाणी को हटाकर केंद्रीय नेतृत्व एक नए चेहरे को राज्य की कमान सौंपना चाहता है, जो प्रदेश सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बैठा सके। रूपाणी भी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बेहद करीबी हैं।
मृदुभाषी विजय रूपाणी जैन समुदाय से आत है। जबकि सूबे की राजनीति में पाटीदार और ओबीसी वर्ग बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रदेश में ये समुदाय सत्ता दिलाने और उससे बेदखल करने की ताकत रखते हैं। भाजपा के कोर वोटबैंक कहे जाने वाले पाटीदार समाज को साधने के लिए अब पार्टी राज्य की कमान किसके हाथ देती है ये देखने वाली बात होगी। गौरतलब है कि 65 साल के रूपाणी अगस्त 2016 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनाए गए थे। उस दौरान 75 वर्षीय आनंदीबेन पटेल ने उम्र को आधार बनाकर इस्तीफा दिया था। रूपाणी के नेतृत्व में ही भाजपा ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बावजूद 2017 विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी।
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