नई दिल्ली: बीते एक साल में खाने के तेल (edible oil) की कीमतों में अच्छी-खासी बढ़त हुई है. पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के बढ़ते दामों के बाद खाद्य तेल की आसमान छूती कीमतों (Price) से आम लोगों की जेब पर बहुत असर पड़ा है. लेकिन अब त्योहारों पर खाने के तेल की कीमतों पर लगाम के लिए उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) एक्शन में आ गया है. आज खाद्य सचिव ने राज्यों के प्रतिनिधियों और तेल इंडस्ट्री (oil industry) से जुड़े लोगों से मुलाकात के बाद उम्मीद जताई कि अक्टूबर से खाने के तेल के दाम कम होने लगेंगे.
खेती की अच्छी पैदावारी से उम्मीद
सरकार ने बताया कि इस साल मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बारिश के बावजूद सोयाबीन की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. राज्यों की मानें तो ये उत्पादन पिछले साल के मुकाबले और अधिक होगा. साथ ही अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भी पाम और सोयाबीन तेल की कीमतों में गिरावट आई है, इससे देश में खाने के तेल की कीमतों में कमी आएगी.
जमाखोरी पर सख्त है सरकार का रुख
सरकार का कहना है कि खाद्य तेलों के आयात (Import) पर कस्टम की दरों को कम करने के बावजूद कीमतों में कमी नहीं हो रही है और उसकी एक वजह जमाखोरी हो सकती है. इसलिए जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम (ESA) के तहत कारोबारियों, व्यापारियों, प्रसंस्करण करने वाली इकाइयों को अपने स्टॉक का खुलासा करना होगा. यह काम राज्य सरकारें करेंगी और उनको आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत यह अधिकार दे दिया गया है.
पोर्टल लाएगी सरकार
दलहन की तरह ही खाद्य तेल और तिलहनों के मौजूदा स्टॉक को सार्वजनिक करने के लिए सरकार जल्द एक पोर्टल लाने वाली है जो अगले हफ्ते चालू हो जाएगा. व्यापारी इस पोर्टल के जरिए अपने स्टॉक का डिस्क्लोजर दे सकते हैं जिसको राज्य सरकार मॉनिटर करेगी.
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