इंदौर। बायपास (Bypass) के दोनों ओर 45-45 मीटर के कंट्रोल एरिया (Control Area) की नपती निगमायुक्त ने करवाई, वहीं 650 चिह्नित अवैध निर्माणों (Illegal Construction) को नोटिस थमाए। कल से कई लोगों ने स्वेच्छा से अपने निर्माणों को हटाने की शुरुआत भी कर दी। कलेक्टर ने मुख्यमंत्री से हुई चर्चा के बाद प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास को कंट्रोल एरिया को लेकर प्रस्ताव भेजा है, जिसमें दोनों ओर साढ़े 22-साढ़े 22 मीटर के कंट्रोल एरिया को सुरक्षित रखने के बाद शेष साढ़े 22 मीटर पर मिश्रित भू-उपयोग का फायदा जमीन मालिकों को दिया जाएगा। इसमें आवासीय, वाणिज्यिक, पीएसपी गतिविधियां मान्य की जाएंगी और प्रीमियम ऑन एफएआर, यानी पीओएफ के आधार पर इसकी अनुमति मिलेगी। इससे जमीन अधिग्रहण की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी और वर्तमान सर्विस रोड को फोरलेन में परिवर्तित करने के बाद जो अतिरिक्त जमीन बचेगी, उस पर भविष्य में मेट्रो ट्रेन (Metro Train) का भी प्रोजेक्ट लाया जा सकेगा।
कलेक्टर मनीषसिंह (Collector Manish Singh) के मुताबिक बायपास के अधिकांश जमीन मालिक स्वेच्छा से निर्माण हटाने को तैयार भी हैं और नया प्रस्ताव उनके लिए फायदेमंद तो साबित होगा ही, वहीं शहरी यातायात की दृष्टि से भी उपयुक्त है। 20 साल पुराने इंदौर बायपास (Indore Bypass) पर यातायात का दबाव लगातार बढ़ रहा है और सर्विस रोड (Service Road) पर तो आए दिन जाम लगता ही है। लिहाजा अब बायपास की सर्विस रोड को फोरलेन (Fourlane) में परिवर्तित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। पिछले दिनों इंदौर एयरपोर्ट (Indore Airport) पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) को इस संबंध में जानकारी दी गई कि किस तरह 45-45 मीटर के कंट्रोल एरिया की आधी जमीन लेकर सर्विस रोड का विस्तार किया जा सकता है। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद कलेक्टर ने प्रमुख सचिव को प्रस्ताव भिजवाया है, जिसमें साढ़े 22 मीटर जमीन लेने पर उनके मालिकों को मिश्रित उपयोग के तहत व्यावसायिक उपयोग किए जाने की निर्माण अनुमति पीओएफ के माध्यम से मिलेगी और इसकी राशि नगर निगम में जमा होगी। भविष्य में मेट्रो प्रोजेक्ट (Metro Project) भी सर्विस रोड चौड़ा करने के बाद शेष जमीन पर आ सकेगा।
बंगाली-बीआरटीएस पर अभी भी एक राय नहीं
कल रेसीडेंसी (Residency) पर जनप्रतिनिधि और अफसरों की बैठक बायपास के अलावा बीआरटीएस (BRTS) पर बनने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर (Allivated Corridor) और अधूरे पड़े बंगाली ओवरब्रिज (Bangali Overbridge) को लेकर भी हुई, मगर बायपास को छोडक़र दोनों प्रोजेक्टों पर अभी भी एक राय नहीं बन सकी। इसके चलते लोक निर्माण विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयोगों में से ही एक प्रयोग को मंजूर करते हुए ओवल शेप में रोटरी के साथ पिलर बनाने पर सहमति हुई।
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