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तालिबानी सरकार में 90 प्रतिशत मंत्री पश्तून समुदाय से, हजारा को नहीं मिली जगह, अल्‍पसंख्‍यकों को अनदेखा करना पड़ेगा भारी

September 09, 2021

काबुल। अफगानिस्तान( Afghanistan) में अंतरिम सरकार (Government) का गठन भले ही हो चुका हो, लेकिन कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद (Prime Minister Mohammad Hassan Akhund) के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती सभी नस्लीय समूहों को साधने की होगी। नवनियुक्त 33 मंत्रियों में से 90 फीसदी मंत्री केवल पश्तून समुदाय (pashtun community) के हैं, जबकि हजारा समुदाय का एक भी मंत्री नहीं है। ताजिक और उज्बेक लोगों (Tajik and Uzbek people) को भी पर्याप्त प्रतिनिधत्व नहीं मिला है।


पश्तून समुदाय के 30 मंत्री
सबसे अधिक 42 फीसदी आबादी के साथ पश्तून समुदाय का शुरू से ही अफगान राजनीति में दबदबा रहा है। सुन्नी मुस्लिमों के इस समुदाय के 30 लोगों को मंत्री बनाया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री अखुंद, उपप्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर भी शामिल हैं। इस समुदाय के लोग पश्तो भाषा बोलते हैं। ज्यादातर तालिबान लड़ाके इसी समुदाय से हैं। इसमें हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम भी शामिल है।

ताजिक समुदाय के दो मंत्री
अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा समूह ताजिक लोगों का है और इनकी आबादी 27 फीसदी है। लेकिन मंत्रिपरिषद में इस समुदाय के केवल दो लोगों को जगह मिली है। पंजशीर में तालिबान को चुनौती दे रहे लड़ाके इसी समूह से हैं।

उज्बेक नेता हनाफी उपप्रधानमंत्री बने
देश की आबादी में उज्बेक लोगों की भागीदारी 10 फीसदी है। सुन्नी होने के बावजूद इन्हें सरकार के गठन में संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। लेकिन मौजूदा उपप्रधानमंत्री मौलाना अब्दुल सलाम हनाफी इसी समुदाय से हैं।

हजारा आबादी 10 फीसदी
देश की आबादी में अल्पसंख्यक हजारा समूह की हिस्सेदारी 10 फीसदी है, लेकिन इसके किसी भी सदस्य को मंत्रिपरिषद में स्थान नहीं मिला है। ये शिया मुस्लिम हैं। यह समूह लंबे समय से हिंसा, दमन और भेदभाव का रहा है शिकार।

हक्कानी नेटवर्क के चार मंत्री
अफगान सरकार में हक्कानी नेटवर्क के चार लोगों को मंत्री बनाया गया है। मंत्री पदों के बंटवारे से साफ नजर आ रहा है कि तालिबान के वरिष्ठ नेताओं को मंत्री बनाया गया है, ताकि उनके समूह में पनप रहे असंतोष को कम किया जा सके।

ये समूह भी हाशिए पर
अफगानिस्तान में अन्य छोटे-छोटे नस्लीय समूह भी हैं, जिन्हें सरकार में स्थान नहीं मिल सका है। इनमें नोमैडिक अमाक, तुर्कमेन और बलोच आदि हैं। एक अन्य समूह नुरुस्तानी लोगों का है।

समावेशी सरकार को लेकर मंथन
तालिबान ने सत्ता में आने पर जिस समावेशी सरकार के गठन का वादा किया गया था, उसकी झलक मौजूदा मंत्रिपरिषद में फिलहाल नहीं दिख रही। हालांकि तालिबान ने कहा है कि अभी उसने कार्यवाहक मंत्रिपरिषद की घोषणा की है, समावेशी सरकार को लेकर चर्चा अभी चल रही है।

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