इंदौर, राजेश ज्वेल।अब 10 की बजाय 30 फीसदी तक अवैध निर्माणों (Illegal Construction) की कम्पाउंडिंग (Compounding) की जा सकेगी। नगरीय विकास एवं आवास विभाग (urban development and housing department) ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। 30 फीसदी तक अवैध आवासीय निर्माणों (llegal residential constructions) को वैध करवाने के एवज में 10 फीसदी तक कलेक्टर गाइडलाइन (Collector Guideline) की दर से प्रशमन शुल्क वसूल किया जाएगा। और व्यवसायिक निर्माण होने पर प्रशमन शुल्क की यह राशि 12 फीसदी होगी। वहीं बिना अनुमति सम्पूर्ण भवन (entire building) का निर्माण कर लेने पर भवन अनुज्ञा शुल्क का 5 से 6 गुना तक अलग से वसूल किया किया जाएगा। अगर किसी आवासीय या व्यवसायिक भवन में 10 फीसदी से अधिक अवैध निर्माण किया गया है तो फिर अतिरिक्त अवैध निर्माण हटाने के बाद बचे 30 फीसदी हिस्से को ही वैध किया जा सकेगा। शासन के इस फैसले से अवैध निर्माण करने वाले कई बिल्डरों-कालोनाइजरों को राहत मिलेगी, जिन्हें अवैध निर्माणों के नोटिस (Notice) लगातार थमाए जाते रहे हैं। निगम को भी इससे अतिरिक्त करोड़ों रुपए की आमदनी हो जाएगी।
इन दिनों नगर निगम (Municipal Corporation) बायपास से लेकर शहर के तमाम अवैध निर्माणों (Illegal Construction) को चिन्हित कर नोटिस थमाने की कार्रवाई में जुटा है। दूसरी तरफ शिवराज कैबिनेट (Shivraj cabinet) ने पिछले दिनों 10 की बजाय 30 फीसदी तक अवैध निर्माणों को वैध करने की घोषणा की और उसके आधार पर ड्राफ्ट (Draft) का प्रकाशन भी करवाया। अब उसके बाद 31 अगस्त को नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय (urban development and housing department) ने 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग करने की प्रक्रिया और उसके एवज में वसूल किए जाने वाले प्रशमन शुल्क का निर्धारण कर दिया है। विभाग के उपसचिव सुभाशीष बनर्जी द्वारा प्रकाशित करवाया गया यह नोटिफिकेशन तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया है, जिसमें किस तरह से अवैध निर्माणों को वैध किया जाना है उसका खुलासा किया है। आवासीय के साथ सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य के लिए बने निर्माण में 10 फीसदी तक अवैध निर्माण पर 5, 20 फीसदी तक साढ़े 7 और 30 फीसदी तक अवैध निर्माण का प्रशमन शुल्क कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर 10 प्रतिशत वसूल किया जाएगा। वहीं वाणिज्यिक, औद्योगिक, सिनेमा घर, होटल या अन्य मिश्रित उपयोग में बने भवनों में 10 प्रतिशत अवैध निर्माण होने पर 6 प्रतिशत और 20 फीसदी अवैध निर्माण पर 9 और 30 फीसदी अवैध निर्माण पर 12 प्रतिशत प्रशमन शुल्क लिया जाएगा। वहीं अगर बिना अनुमति पूरे भवन का निर्माण किया गया है तो भवन अनुज्ञा शुल्क का 5 गुना, आवासीय व उससे जुड़े अन्य उपयोग में तो 6 गुना, वाणिज्यिक और उससे संबंधित अन्य गतिविधियों के निर्माण के एवज में अतिरिक्त राशि वसूल की जाएगी। अगर 20 फीसदी से अधिक अवैध निर्माण है तो फिर उसे हटाने के बाद बचे 30 फीसदी को ही वैध किया जा सकेगा।
इस तरह के निर्माणों को नहीं किया जा सकेगा वैध
गजट नोटिफिकेशन (gazette notification) में जहां किस तरह के निर्माणों को वैध किया जा सकता है, वहीं ऐसे भवनों की कम्पाउंडिंग नहीं की जा सकेगी जो पर्यटन, पर्वतीय स्थल, जो कि शासन द्वारा अधिसूचित व संवेदनशील क्षेत्र में माने गए हैं, के अलावा वाहनों की पार्किंग में बने निर्माण, सडक़ों की चौड़ाई, जल निकायों के भीतर आने वाले निर्माण, नदी किनारे से 30 मीटर के भीतर, नाले या अन्य जलप्रवाह को बाधित करने वाले अवैध निर्माण वैध नहीं हो सकेंगे।
15 दिन में नियमों के प्रकाशन की दी थी जानकारी
इस नोटिफिकेशन में एक और जानकारी यह भी दी गई है कि अवैध निर्माण करने वाला व्यक्ति अगर 28 फरवरी 2022 तक आवेदन प्रस्तुत करता है तो उसे नियम के मुताबिक लिए जाने वाले प्रशमन शुल्क पर 20 फीसदी की छूट भी मिलेगी। पिछले दिनों अग्निबाण ने इस संबंध में समाचार प्रकाशित किया था, जिसमें शासन स्तर पर 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग किए जाने के आदेश जारी ना हो पाने का खुलासा किया था, जिस पर उपसचिव सुभाशीष बनर्जी ने वायदा किया था कि 15 दिन के भीतर नोटिफिकेशन कर दिया जाएगा, जिसके चलते नगरीय विकास और आवास मंत्रालय ने यह किया गया वायदा भी निभाया और खबर प्रकाशन के 15 दिन के भीतर ही गजट नोटिफिकेशन भी कर दिया।
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