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इन्दौर में दूसरे डोज का आंकड़ा 10 लाख के पार, डेंगू पीडि़तों की संख्या 78 तक पहुंची

September 06, 2021

कहीं सफलता तो कहीं डर…वैक्सीन के
ढाई महीने में 57 मिले थे, 5 दिनों में 21 नए मरीज सामने
इंदौर।  स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में जहां एक तरफ वैक्सीन अभियान में मिल रही सफलता का उत्साह है तो वहीं दूसरी तरफ डेंगू (Dengue) पीडि़तों के लगातार बढ़ रहे आंकड़े डरा रहे हैं।
इंदौर में वैक्सीन (Vaccine) का दूसरा डोज लगाने का आंकड़ा 10 लाख को पार कर आज-कल में 11 लाख तक पहुंचने के करीब है। इसका असर यह है कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या आज जीरो तक पहुंच गई है। इस वजह से स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में जबरदस्त उत्साह है, मगर इसी के साथ डेंगू-मलेरिया पीडि़त मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है । पिछले 5 दिनों में डेंगू के 21 नए मरीज सामने आ चुके हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के रिकार्ड के अनुसार 15 जून से 31 अगस्त तक सिर्फ 57 मरीज ही डेंगू के मिले थे।
जनता को आंकड़ों पर कतई भरोसा नहीं
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर जनता को कतई भरोसा नहीं है। रहवासियों के अनुसार शहर में हजारों लोग डेंगू-मलेरिया (Dengue-Malaria) से बीमार हैं। अधिकांश इलाकों, कालोनियों व बस्तियों में हर घर इसकी चपेट में है, मगर स्वास्थ्य विभाग 50-75 मरीज बताकर अपनी नाकामी छुपा रहा है।
अधिकांश शहर मच्छरों से परेशान
हालात यह है कि बीमारियों से पीडि़त मरीज के परिजन जिला स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम (municipal Corporation) के स्वास्थ्य विभाग (Health Department)  को लगातार कोस रहे हैं। ऐसा नहीं कि सिर्फ मरीजों के परिजन ही जिला व निगम के स्वास्थ्य विभाग (Health Department) से नाराज हैं, बल्कि कई अफसर व सत्तारूढ़ पार्टी के नेता भी दबी जुबान से अपनी नाराजगी का इजहार कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि शहर में मच्छरों का भयंकर प्रकोप है, मगर उन्हें मारने या नष्ट करने की जो कार्रवाई की जा रही है, वह सिर्फ दिखावटी है। डेंगू-मलेरिया (Dengue-Malaria) के जितने मरीज कागजों पर दिखाए जा रहे हैं, उतने तो एक ही वार्ड में मिल जाएंगे।


मच्छरों को मारने का अभियान युद्ध स्तर पर चलाना चाहिए
पीडि़तों का कहना है कि जिस तरह से सरकार, प्रशासन व जनता ने कोरोना (Corona)  की दूसरी लहर से जंग जीती, उसी तरह बारिश शुरू होते ही मच्छरों के खिलाफ युद्ध स्तर पर अभियान चलना चाहिए था। शहर का ड्रेनेज सिस्टम फेल होने के कारण सडक़ों पर, बस्तियों में घर के आसपास पानी भरा हुआ है, जिसके कारण मच्छरों ने अधिकांश शहर पर कब्जा कर रखा है। इसलिए सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए 2-4 जगह दवाई डालने, लार्वा नष्ट करने की कार्रवाई न करें, बल्कि हर वार्ड में जाकर मैदानी हकीकत जानें।
निजी अस्पताल व निजी डाक्टरों के पास भीड़
शहर की जनता व पीडि़त मरीज के परिजन स्वास्थ्य विभाग (Health Department)  द्वारा बताए गए सरकारी आंकड़ों का जमकर मखौल उड़ाकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। अग्निबाण से कई नियमित पाठकों ने कहा कि शहर के सारे निजी अस्पतालों के अलावा कालोनियों, रहवासी बस्तियों में निजी प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों के यहां सुबह से लेकर देर रात तक पीडि़त मरीज सैकड़ों की संख्या में पहुंच रहे हैंं। हर घर या हर दूसरा घर-परिवार बीमार है, मगर स्वास्थ्य विभाग यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि निजी अस्पताल व निजी लेबोरेटरी की जांच रिपोर्ट को शासन नहीं मानता।

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