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ज्योतिष भविष्यवाणी : सितम्बर-अक्टूबर में होंगे देश-दुनिया में बड़े बदलाव, कोरोना का ऐसा होगा प्रभाव

September 04, 2021

नई दिल्ली। ज्योतिष (Astrology) की दुनिया में गोचर (transit) बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि सभी नवग्रह (nine planets) हमारे आपके जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, और केतु ऐसे प्रमुख ग्रह हैं जिन्हें ज्योतिष की दुनिया में काफी गंभीरता से लिया जाता है। ऐसे में यह बात तो साफ है कि इन ग्रहों के गोचर या राशि परिवर्तन से देश, दुनियां और हमारे जीवन पर प्रभाव अवश्य ही पड़ता है।

आइये जानते हैं सितम्बर से अक्तूबर तक कब कौन से ग्रह का आगमन किस राशि पर हो रहा है, और उस ग्रह गोचर का हमारे देश, दुनियां और मानव जीवन पर क्या प्रभाव होगा। गोचर अर्थात ब्रह्मांड में होने वाली खगोलीय घटना है जिसका प्रभाव जनमानस पर देखने को मिलता है। हमारे जीवन में घटने वाली सभी अच्छी वह बुरी दोनों घटनाएं अर्थात सभी प्रकार की घटनाएं ग्रहों पर पूर्ण रूप से निर्भर करती है। गोचर अर्थात वर्तमान समय में ग्रहों की चाल सितंबर से अक्तूबर के माह में कई बड़े ग्रहों के राशि परिवर्तन व नक्षत्र परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

अब बात करते हैं। वर्तमान गोचर के बारे में। मंगल का राशि परिवर्तन कर कन्या राशि में जाना, शुक्र का अपनी नीच राशि से निकलकर अपनी मूल त्रिकोण राशि तुला में 5 सितंबर को गोचर करना तथा तीसरा बड़ा राशि परिवर्तन 14 सितंबर को गुरु का मकर राशि में जाना है। वर्तमान गोचर के बारे में आने वाले समय में कई बड़े ग्रहों के राशि परिवर्तन और नक्षत्र परिवर्तन से बदलाव देखने को मिलेंगे।

इस समय मंगल जोकि 17 अगस्त से 29 नवंबर 2021 तक अस्त स्थिति में रहेंगे, वह इस वर्ष के राजा व मंत्री दोनों हैं अतः ब्रह्मांड के अंदर इस वर्ष के ग्रहों के राजा का अस्त होना सकारात्मक नहीं है। मंगल पौरूष हैं, शक्ति है, साहस हैं। मंगल के अस्त होने की वजह से आत्मविश्वास के स्तर में कमी आएगी। मंगल सेनापति, पुलिस, रियल स्टेट को प्रदर्शित करता है अतः इसके सभी करकत्व में कमी महसूस होगी।

हमारे देश के प्रधानमंत्री जी की कुंडली भी मंगल प्रधान कुंडली है अतः यह समय उनके लिए चुनौतियों से भरा रहेगा। मंगल का कन्या राशि में परिवर्तन जन आंदोलन को दर्शाता है तथा कुछ विरोधाभास को भी प्रकट करता है। सीमा विवाद हो सकता है। उत्तर पश्चिम क्षेत्रों में स्थिति कम अच्छी रहेगी।

अस्त मंगल, नकारात्मक मंगल की तरह कार्य करता है अतः आतंकवादी घटनाएं बढ़ेंगी जैसे कि मंगल के अस्त होते ही तालिबान का खौफ बढ़ गया। लेकिन जैसे ही 29 नवंबर को मंगल उदय हो जाएंगे तब परिस्थितियां काफी हद तक नियंत्रण में आ जाएंगी और भारत के लिए वह समय एक अच्छे समय का आगाज होगा।

27 सितंबर से 11 अक्टूबर 2021 के बीच में 3 बड़े ग्रहों का वक्री होना पूरे विश्व में हलचल के माहौल को बनाएगा। 14 सितंबर को गुरु जैसे ही मकर राशि में जाएंगे नीच भंग राज योग का निर्माण करेंगे अतः पहले नीचतत्व का फल मिलेगा फिर राजयोग फलित होगा हालांकि शनि अपनी बलवान स्थिति में होंगे तथा गुरु पीड़ित अवस्था में होंगे फिर भी गुरु के परिणाम बहुत खराब नहीं देखने को मिलेंगे।

शनि व गुरु दो बड़े ग्रह पृथ्वी तत्व राशि में विराजमान रहेंगे तथा नवमांश में शनि मंगल राहु की युति मेष राशि में होगी जो कि भारत की कुंडली के द्वादश भाव में हैं जब इन ग्रहों की युति एक साथ होती है तो बड़े पैमाने पर जनहानि के भी संकेत मिलते हैं। जैसे कि किसी अप्राकृतिक घटना का होना।

राहु तथा मंगल का एक ही अंश पर संचरण करना तथा राहु का नक्षत्र परिवर्तन करके सूर्य के कृतिका नक्षत्र में जाना यह ग्रह स्थिति करोना महामारी के तेजी से फैलने के संकेत को दिखला रहा है। हालांकि परिस्थितियां पहले की तरह खराब नहीं होंगी उन पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

भारत से बाहर के देशों में माहौल ज्यादा खराब होने के संकेत मिल रहे हैं अतः कई राशि परिवर्तन होने से कुछ न कुछ बदलाव समूचे विश्व में देखने को जरूर मिलेंगे। 18 अक्टूबर 2021 गुरु के मार्गी होने पर विश्व में पहले से परिस्थितियों में सुधार होना शुरू हो जाएगा तथा विश्व में शांति का माहौल भी बनने लगेगा। आने वाले समय में कुछ सुधार भी देखने को मिलेंगे

11 अक्टूबर 2021 को शनि मार्गी होने से कानून व्यवस्था, सैन्य व्यवस्था, न्याय प्रणाली में तेजी आएगी। असामाजिक तत्वों की स्थितियों पर लगाम लगेगी। पेट्रोल और तेल के दामों में न्यूनता देखने को मिलेगी। भारत के लिए ग्रह गोचर आने वाले समय में पक्ष में रहेगा तथा भारत किसी भी परिस्थिति में झुकेगा नहीं वरन भारत में नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता आएगी।

राहु का कृतिका नक्षत्र में जाना एक बड़ी खगोलीय घटना है। कृतिका नक्षत्र सूर्य का नक्षत्र है सूर्य अग्नि तत्व ग्रह हैं अतः राहु, सूर्य जैसा फल देने को बाध्य हो जाएंगे। परिणाम तीव्रता से देखने को मिलेंगे। आत्मविश्वास बढ़ेगा तथा सरकार मंत्रिमंडल में कुछ पुनर्गठन भी कर सकती है व कुछ छुपे हुए रहस्य बाहर आ सकते हैं। राजनीति में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

भारतवर्ष की कुंडली में चंद्रमा में बुध का अंतर चल रहा है। बुध जो कि वर्तमान समय में कन्या राशि में गोचर कर रहे हैं तथा आने वाले समय में वह सूर्य के साथ बुधादित्य राजयोग का निर्माण भी करेंगे अतः इसके परिणाम अच्छे देखने को मिलेंगे बुध अपनी मूल त्रिकोण राशि में गोचर कर रहे हैं अतः व्यापार के, नौकरी के नए रास्ते खुलेंगे।

बुध जो कि मानसिक चेतना के अधिपति हैं, वाणिज्य संबंधी गतिविधियों के अधिपति हैं, इस सभी क्षेत्रों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलेगा। बुध जो कि प्रबंधन संबंधी कामकाज के अंदर व्यक्ति को एक अलग ही हस्तक्षेप देते हैं अतः चंद्रमा में बुध का अंतर अर्थव्यवस्था को सही मार्गदर्शन की ओर ले जाने का कार्य करेगा।

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