भोपाल। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ही एक मात्र ऐसा राजनीतिक दल रहा है जिसमें बड़े नेता बनने का रास्ता भाजयुमो (BJYM) से होकर ही गुजरता है। पार्टी में आज जितने भी बड़े नेता हैं, वे भाजयुमो (BJYM) के पदाधिकारी रहे हैं। ऐसे में दिग्गज नेताओं के बेटा-बेटा राजनीति में आने के लिए भाजयुमो में एंट्री पाने को लालायित हैं, लेकिन मप्र भाजयुमो (BJYM) ने नेता पुत्रों की सियासी तरक्की पर रोक लगा दी है।
मप्र भाजयुमो के प्रदेशाध्यक्ष वैभव पवार (State President Vaibhav Pawar) द्वारा जारी की गई प्रदेश पदाधिकारियों की सूची में एक भी बड़े नेता का पुत्र या पुत्री को शामिल नहीं किया। जबकि एक दर्जन से ज्यादा नेताओं के पुत्र अपने पिता की राजनीतिक पिच पर सियासी प्रैक्टिस कर रहे हैं। भाजयुमो के प्रदेश पदाधिकारियों की सूची में 30 युवा नेताओं के नाम हैं। जिनमें एक भी युवा किसी बड़े राजनीतिक घराने से नहीं है। यह बात अलग है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) से लेकर केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा समेत अन्य दिग्गज नेताओं के बेटा एवं बेटी राजनीति में खासे सक्रिय हैं। संभवत: इनमें से ज्यादातर नेताओं के पुत्रों को भविष्य में पिता की जगह लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के टिकट भी मिल जाएंगे। अभी तक सिर्फ राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय को विधायक बनवाने में सफल रहे हैं। हालांकि इसके लिए विजयवर्गीय को खुद चुनाव मैदान से बाहर होना पड़ा था। पिछले चुनाव में गौरीशंकर शेजवार ने भी खुद की जगह बेटे मुदित शेजवार को टिकट दिलाया था, हालांकि मुदित चुनाव हार गए थे।
कई नेता पुत्र टिकट के दावेदार
विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में कई नेता पुत्र टिकट की दावेदारी करते हैं, लेकिन पिता के सांसद-विधायक रहते भाजपा में बेटा-बेटी को टिकट देने की परंपरा नहीं है। पार्टी के उच्च पदाधिकारी का कहना है कि जो नेता अपने बेटा बेटी को टिकट दिलाना चाहेंगे, उन्हें खुद टिकट की दौड़ से बाहर होना पड़ेगा। हालांकि भाजपा में टिकट का फैसला कई मापदंडों के आधार पर होता है।
एक युवा को दोहरी जिम्मेदारी
भाजयुमो में खंडवा जिले से विधायक राम डांगोरे को महामंत्री बनाया गया है। डांगोरे को पिछले इसी महीने मप्र भाजपा ने प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। ऐसे में प्रवक्ता एवं भाजयुमो में जगह नहीं मिलने से खफा नेता सवाल भी उठा रहे हैं।
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