इंदौर। इंदौर जिले (Indore District) के आखिरी छोर पर बसे 3 इंटीरियर गांव (Interior Village) के लोगों को अब जाकर टीका लग पाया है। उन्हें वैक्सीनेशन (Vaccination) के लिए अधिकारियों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी, तब जाकर सफलता मिल पाई। शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर आखिरी छोर पर देवास (Dewas) की सीमा स्थित नाहर झाबुआ ( Nahar Jhabua), गड़ी (Gadi) व बडिय़ा हाट (Badiya Haat) गांवों की आबादी 900 सौ से अधिक है। जब अधिकारियों की टीम सर्वे के लिए गांव में पहुंची तो पता चला कि यहां टीका लगा ही नहीं है। यहां तक कि गांव के अधिकतर लोगों को पता ही नहीं है कि वैक्सीनेशन क्या होता है। गांव में ज्यादातर लोग आदिवासी भील भिलाला (Tribal Bhil Bhilala) हैं और गरीब तबके के हैं, जो मजदूरी करते हैं। वे सुबह 7.30 बजे ही गांव से निकल जाते हैं और देर शाम को घर लौटते हैं। तहसीलदार पल्लवी पुराणिक ने बताया कि सभी को टीके लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग (Health Department), राजस्व विभाग (Revenue Department), जनपद पंचायत की टीम को निरंतर तीन दिनों तक तडक़े 5 बजे ही निकलना पड़ा। बडिय़ा हाट गांव में वैक्सीनेशन कैंप (Vaccination Camp) लगाया गया, जहां पगडंडी रास्तों से होते हुए सभी के घर सुबह-सुबह जाकर बड़ी मुश्किल से केंद्र लाकर वैक्सीन लगवाया गया। कई लोग तो घरों में छिप जाते थे, जिन्हें काफी देर तक समझाने के बाद टीका लगाने में सफलता मिल पाई। 3 दिनों में साढ़े सात सौ से अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है।
2 गांव की मुस्लिम महिलाओं को भी वैक्सीनेशन लगाने में मिली सफलता
खुडै़ल क्षेत्र (Khudail area) के मुस्लिम बाहुल्य गांव आठमील व हनसाखेड़ी के लोग टीका लगाने को लेकर गंभीर नहीं थे। प्रशासनिक अफसरों की टीम ने सभी लोगों को जाकर जागरूक किया, जिसके बाद दोनों गांव के 172 से अधिक लोगों को टीके लगाए गए। इनमे मुस्लिम महिलाओं की संख्या ज्यादा थी।
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