महिदपुर। जैन समाज की साधिका द्वारा की गई तपस्या के बाद उनका वरघोड़ा निकला तथा उनका स्वागत हुआ।
तपस्विनी सीमा चौपड़ा का अक्षत, श्रीफल एवं पुष्पमालाओं से जगह जगह नगरवासियों एवं समाजजनों ने भावभीना स्वागत किया। कोरोना काल के कारण दो साल बाद प्रभुजी वेदी में विराजमान होकर निकले जिनकी अगुवानी अक्षत, श्रीफल आदि से की गई। भक्तगण वेदीजी कंधों पर धारण कर आगे आगे चल रहे थे। पूरे मार्ग पर रंगोली कलाकारों ने सुंदर रांगोली बनाई। ढोल की थाप पर श्रावक श्राविकाऐं नाचते झूमते चल रहे थे। गजराज पर विराजित तपस्विनी सभी का अभिवादन स्वीकार कर रही थी। खरतरगच्छ श्रीसंघ में चातुर्मास हेतु विराजित साध्वी विरलप्रभाश्रीजी एवं विपुलप्रभाश्रीजी की पावन निश्रा में मासक्षमण की तपस्या की पूर्णाहूति हुई। गंतव्य पर पहुंचकर जुलूस विशाल धर्मसभा में परिवर्तित हो गया।स्वागत गीत प्रेक्षा भण्डारी, सुशीला चौपड़ा मंगलाचरण शिल्पा, सोनल ने किया। स्वागत गीत सुनीता सेठिया (औरंगाबाद), स्वीटी चण्डालिया, संदीप भाई (रतलाम), सरीता लोढ़ा (थांदला), सुनील चण्डालिया, समकित चौपड़ा, शिल्पा चौपड़ा आदि ने प्रस्तुत किया। तपस्वी की तप अनुमोदना में उद्बोधन खरतरगच्छ श्रीसंघ अध्यक्ष सरदारमल चौपड़ा, जवाहर डोसी पीयूष, सीमा चौपड़ा, बाबूलाल आंचल्या, पारस लुणावत आदि ने दिया। साध्वीजी ने तपस्वी को मंगल आशीर्वाद देते हुए तप के महत्व को अनेक प्रसंगों के माध्यम से समझाया। तपस्वी का बहुमान खरतरगच्छ, तपागच्छ, त्रिस्तुतिक, स्थानकवासी, दिगम्बर जैन श्रीसंघ, जैन सोशल ग्रुप मेन, सार्थक एवं सजग ग्रुप, आदर्श महावीर नवयुवक मण्डल, जिनदत्त सूरी युवा मण्डल, नवकार ग्रुप, सिद्धचक्र महिला मण्डल, भारत विकास परिषद आदि ने शॉल, श्रीफल, अभिनंदन पत्र भेंट कर किया। संचालन जैनेन्द्र खेमसरा ने किया।
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