उज्जैन। हरिफाटक ब्रिज के नीचे फोरलेन पर प्रशासन द्वारा 100 करोड़ की दो हेक्टेयर से अधिक भूमि को मुक्त कराए जाने का श्रेय लिया जा रहा है लेकिन सवाल उठ रहा है कि सौ करोड़ की यह जमीन अतिक्रमण की चपेट में कैसे आ गई..यहाँ पर गाडिय़ाँ सुधारने की दुकानें पिछले 15 वर्षों से लग रही हैं और पूर्व में भी एक बार सफाई की गई थी। कल सबकुछ ठीकठाक रहा नहीं तो स्थिति बिगड़ सकती थी।
सौ करोड़ की फोरलेन से लगी जमीन पर पिछले 8-10 साल से कब्जे हो रहे थे और सब सोए हुए थे। जब तक नगर निगम के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं होगी तब तक शहर में अतिक्रमण होता रहेगा। नगर निगम ने कल खाली कराई गई जमीन पर तत्काल अपनी योजना भी घोषित कर दी है और यहाँ पार्किंग बनेगी। इस हेतु इस सप्ताह टेंडर प्रक्रिया निपटा ली जाएगी। कल पूरा प्रशासनिक अमला तथा जेसीबी मशीनें और विभिन्न विभागों के कर्मचारी सुबह 5 बजे से लगाना पड़े। एडीएम नरेन्द्र सूर्यवंशी, एएसपी अमरेन्द्रसिंह, एसडीएम, डीएसपी, टीआई, सौ से अधिक पुलिसकर्मी, 12 जेसीबी मशीन, नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी लगाना पड़े। सबकुछ ठीकठाक रहा और अतिक्रमण हट गया नहीं तो ढाई सौ दुकानें हटाते समय स्थिेित बिगड़ भी सकती थी और कानून व्यवस्था संभालनी पड़ती लेकिन कल सुबह जिस तरह से कानून व्यवस्था बनाई गई और अतिक्रमण हट गया।
नगर निगम द्वारा शुक्रवार को मन्नत गार्डन के आसपास से करोड़ों रुपए की जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है। इस जमीन पर अब आने वाले दिनों में पार्किंग एवं अन्य प्रकार के निर्माण स्मार्ट सिटी द्वारा किए जाएंगे। गार्डन के पास और वाकणकर ब्रिज के दोनों और की भूमि जहां अवैध रूप से गैरेज आदि बन गए थे। इसे कल नगर निगम ने मुक्त कराया। शासकीय गाइडलाइन के अनुसार यह जमीन एक अरब रुपए से भी अधिक की है। यहां अब आने वाले दिनों में पार्किंग एवं अन्य निर्माण किए जाएंगे। इससे बाहर से आने वाले यात्रियों को सुविधा मिलेगी। निगमायुक्त सिंघल ने बताया इस जमीन की टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। 7 दिन बाद टेंडर खुल जाएंगे और मंजूरी आदि में 15 दिन लगेंगे। नगर निगम और स्मार्ट सिटी द्वारा तय किया गया है कि सितंबर के अंतिम सप्ताह तक यह सभी कार्रवाई पूरी हो जाएगी और अक्टूबर में पार्किंग तथा अन्य कार्य यहां शुरू करवा दिए जाएंगे। कुल मिलाकर अब यहां अतिक्रमण नहीं हो पाएगा। उल्लेखनीय की उक्त जमीन पर क्षेत्र के एक हिस्ट्रीशीटर ने कब्जा कर रखा था और 10 लाख् रुपए महीना किराया यहां से वसूल रहा था। उसके कब्जे से शासन ने कल जमीन मुक्त कराई और अब यहां यात्रियों के लिए पार्किंग और अन्य सुविधाएं जुटाई जाएंगी। यह जमीन 12 साल में लगने वाले कुंभ मेले और अन्य त्योहारों के समय काम आएगी। पहले भी मन्नत गार्डन शासकीय जमीन पर बना था और उक्त जमीन को मुक्त कराया जा चुका है। अब मुख्य मार्ग पर शासन के पास बहुत जमीन हो गई है।
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