- शासन ने इज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम को ही घोषित कर दिया सर्विस प्रोवाइडर
इंदौर। शासन द्वारा पूर्व में भी ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत कई तरह की रियायतें-सुविधाएं निवेशकों-उद्योगपतियों को दी जाती रही है, जिसमें सिंगल डोर सिस्टम को अपनाने के दावे किए जाते हैं, ताकि निवेशकों को इधर-उधर अनुमतियों के लिए भटकना ना पड़े। हालांकि ये सारे दिशा-निर्देश कागजी ही साबित होते हैं और उद्योगपतियों को अनुमतियों के लिए परेशान होना पड़ता है। यहां तक कि जमीनों की रजिस्ट्रियों के लिए भी एजेंट ढूंढना पड़ते हैं। मगर अब शासन ने मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम को ही रजिस्ट्री करवाने के लिए सर्विस प्रोवाइडर की तरह अधिकार दे दिए हैं। यानी अब उद्योगपतियों को एजेंट खुद नहीं ढूंढना पड़ेंगे, बल्कि निगम खुद सर्विस प्रोवाइडर की तरह रजिस्ट्रियां करवा सकेगा। इस आशय का गजट नोटिफिकेशन भी शासन के उद्योग विभाग ने कर दिया है।
अभी जहां बड़ी संख्या में निवेशक और उद्योग पीथमपुर से लेकर आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में आ रहे हैं, वहीं शासन ने कुछ समय पूर्व एकेवीएन को भी मर्ज करते हुए एमपीएसआईडीसी को सारे अधिकार दे दिए। मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम को अब सर्विस प्रोवाइडर के अधिकार भी शासन ने दे दिए हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में निवेशकों-उद्योगपतियों को दी जाने वाली जमीनों-भूखंडों की रजिस्ट्रियां करवाना पड़ती है, जिसके चलते जमीन और भूखंड हासिल करने वाले उद्यमियों को रजिस्ट्री के लिए एजेंटों को ढूंढना पड़ता है और इसके एवज में स्टाम्प ड्यूटी के अलावा अतिरिक्त राशि भी खर्च करना पड़ती है। लेकिन अब एमपी आईडीसी ही ये रजिस्ट्रियां सर्विस प्रोवाइडर की तरह करवा सकेगा। उल्लेखनीय है कि पंजीयन विभाग में ऑनलाइन रजिस्ट्रियां पिछले कई वर्षों से हो रही है, जिसके लिए सम्पदा पोर्टल बनाया गया है, जिसमें स्लॉ़ट बुकिंग करवाने के बाद रजिस्ट्री होती है। हालांकि आए दिन सर्वर ठप रहने के कारण भी रजिस्ट्री करने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं एजेंटों से लेकर सर्विस प्रोवाइडरों को भी ढूंढना पड़ता है। शासन ने रजिस्ट्री के कार्य के लिए सर्विस प्रोवाइडरों को लाइसेंस दे रखे हैं। मगर अब रजिस्ट्रेशन और स्टाम्प एक्ट में संशोधन करते हुए उद्योग विभाग ने एमपीएसआईडीसी को ही यह जिम्मा सौंप दिया है, जिसके चलते निवेशकों और उद्योगपतियों को जमीनों-भूखंडों को रजिस्ट्री करवाने में आसानी होगी। ई-स्टेम्पिंग पेमेंट, लीज डीड बनवाने से लेकर सब रजिस्ट्रार ऑफिस से स्लॉट बुकिंग सहित अन्य कार्य अब निगम के अधिकारियों द्वारा ही करवाए जाएंगे और उद्योगपतियों को रजिस्ट्रियों के लिए इधर-उधर भटकना भी नहीं पड़ेगा और एजेंटों-सर्विस प्रोवाइडरों के चक्कर लगाने से बचेंगे। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस रिफार्म के तहत उद्योग विभाग ने यह एक और कदम निवेशकों के लिए उठाना पड़ा है।