काबुल। तालिबान अफगानिस्तान में अपने नए शासन के पहले से ज्यादा उदार होने का दावा कर रहा है। आतंकी समूह अपनी सरकार में शामिल होने के लिए पहले ही अफगान महिलाओं को आमंत्रित कर चुका है। अब समूह ने प्रांतों और काबुल के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय में कार्यरत महिलाओं से अपने काम पर लौटने के लिए कहा है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने शनिवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
इस्लामिक शासन को नहीं कोई ऐतराज
प्रवक्ता ने लिखा, ‘प्रांतों और राजधानी के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय में कार्यरत सभी महिला कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि वे नियमित रूप से अपने काम पर वापस लौट सकती हैं। इस्लामिक शासन को उनके नौकरी करने से कोई ऐतराज नहीं है।’ इससे पहले आईं रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि तालिबान ने बैंकों में कार्यरत महिलाओं को घर जाने और काम पर वापस न लौटने की चेतावनी दी थी। महिलाओं से अपनी नौकरी उनके पुरुष रिश्तेदार को देने के लिए कहा गया था।
“All female employees of the Ministry of Public Health both in provinces and the capital are informed to resume their jobs (in a) regular manner. The Islamic Emirate has no issue with their resumption of jobs,” tweeted Taliban spokesman Suhail Shaheen quoting Zabihullah Mujahid.
— TOLOnews (@TOLOnews) August 27, 2021
महिला एंकरों को ऑफिस में घुसने से रोका
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद दुनिया के सामने अपनी छवि बनाने में जुटे तालिबान का असली रंग कुछ दिनों पहले सभी के सामने आ गया था। अफगानिस्तान में महिलाओं को समान अधिकार देने का वादा करने वाले तालिबानियों ने सरकारी टीवी चैनल की एंकर खादिजा अमीन को बर्खास्त कर दिया था। उनकी जगह पर एक पुरुष तालिबानी एंकर को बैठाया गया था। वहीं एक अन्य महिला एंकर शबनम दावरान ने बताया था कि हिजाब पहनने और आईडी कार्ड लाने के बाद भी उन्हें ऑफिस में घुसने नहीं दिया गया।
अफगानिस्तान में होगा शरिया कानून का राज
शबनम को कहा गया कि अब तालिबान राज आ गया है और उन्हें घर जाना होगा। तालिबान राज आने के बाद अफगानिस्तान में महिलाएं अपने घरों में कैद होकर रह गई हैं। उन्हें न केवल अपने जीवन का डर सता रहा है बल्कि उनका भविष्य भी अब संकट में पड़ गया है। कई जगहों पर महिलाओं के लिए बुर्का पहनना और पुरुष साथी के बिना घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है। तालिबान स्पष्ट कर चुका है कि अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं होगी बल्कि शरिया कानून का राज होगा।
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