नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को अधिवक्ता एम.एल. शर्मा की उस जनहित याचिका (PIL) पर केंद्र (Center) से जवाब मांगा (Sought response), जिसमें 2015 से चीन को लौह अयस्क की तस्करी में 61 कंपनियों (61 companies) द्वारा कथित शुल्क चोरी (Duty evasion) की जांच करने और सीबीआई (CBI) को मामला दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने व्यक्तिगत रूप से पेश हुए शर्मा से कहा, “आप 60 से अधिक पक्षों को फंसाना चाहते हैं? क्या आप जानते हैं कि अब कितने आवेदन दायर किए जाएंगे?”
न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी पीठ में शामिल हैं। पीठ ने शर्मा से याचिका वापस लेने और एक व्यापक नई याचिका दायर करने को कहा।
पीठ ने शर्मा को याचिका में संशोधन करने और सभी आवश्यक पक्षों को जोड़ने के लिए भी कहा। पीठ ने कहा, “लेकिन हम तब तक किसी भी तरह के अभियोग का आदेश नहीं देंगे, जब तक कि केंद्र जवाबी कार्रवाई नहीं कर देता।”
पीठ ने शर्मा से आवश्यक शोध करने और फिर याचिका में संशोधन करने को कहा। न्यायमूर्ति कांत ने शर्मा से पूछा, “आपको यह दिखाना होगा कि कितना कर चोरी हुआ, विशिष्ट अनुमान लगाएं।” शर्मा ने जवाब दिया कि उन्होंने शोध किया था और सभी डेटा एकत्र किए थे।
मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से याचिका पर जवाबी हलफनामा पेश करने को कहा, जिसपर मेहता ने समय देने की मांग की।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है और अगर आरोप सही हैं तो इसपर हमें गौर करने की जरूरत है।”
पीठ ने मेहता से पूछा, “क्या इसमें कोई सच्चाई है? मेहता ने पीठ को जवाब दिया कि याचिका का मूल आधार गलत है, हालांकि वह याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए तैयार हो गए।
दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने मामले को तीन सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और केंद्र से दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा।
इस साल जनवरी में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने शर्मा की इस दलील पर गौर करने के बाद कहा था कि विदेशी व्यापार (विकास और नियमन) के तहत लौह अयस्क के निर्यात के लिए गलत टैरिफ कोड घोषित करके निर्यात शुल्क की कथित चोरी के लिए कंपनियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
जनहित याचिका में दावा किया गया है कि वाणिज्य और वित्त मंत्रालय निर्यात नीतियों को नियंत्रित करते हैं। इसमें कहा गया है कि ये मंत्रालय यह भी तय करते हैं कि किसके तहत हर सामान के हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस) कोड का निर्यात किया जाएगा।
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