– योगेश कुमार सोनी
जिहादियों ने इस समय दिल्ली को निशाना बनाया हुआ है। घटनाओं को देखकर लग रहा है कि सरकारें व संगठन या अन्य संस्थाएं विफल हो रही हैं। हर रोज लड़कियों का धर्म परिवर्तन हो रहा है लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही। अब तो जबरदस्ती लड़कियों को उठाया जा रहा है।नाबालिगों को शिकार बनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, असम,कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में लव जिहाद के खिलाफ कानून तो बनें हैं लेकिन इसका असर होता नहीं दिख रहा। यदि आप अपने किसी परिचित से बात करेंगे तो लगभग हर किसी की जानकारी में लव जिहाद की घटनाएं सुनने को मिलेंगी।
अक्सर देखा गया है लोग सोशल मीडिया पर तो गुस्सा या संवेदनाएं दिखा देते हैं लेकिन धरातल पर मदद के नाम पर कोई किसी के साथ नहीं खड़ा होता। वैसे तो यह जिहादी पूरी दुनिया में फैले हैं लेकिन पाकिस्तान और हिंदुस्तान में बहुत तेजी से घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इसबार सबसे ज्यादा देश की राजधानी दिल्ली में जिहादी डाका डाल रहे हैं। मामला बेहद गंभीर है चूंकि नाबालिगों को शिकार बनाया जा रहा है। योजना के तहत उन परिवारों की लड़कियों को शिकार बनाया जा रहा है जो आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं। जिहादियों को यह पता लग चुका कि ये लोग पुलिस के पास नहीं जा सकते और यदि चले भी गए तो इनको डराया-धमकाया या खरीदा जा सकता है।
बीते दिनों दिल्ली के निहाल विहार, कैलाश नगर व दिल्ली से सटे लोनी से कई लड़कियों को लेकर घटनाएं सामने आई जिसमें नाबालिगों की संख्या ज्यादा है। आश्चर्य व पीड़ा तो इस बात की हुई कि यह सब खुलेआम हो रहा है लेकिन इस ओर किसी का ध्यान केंद्रित ही नहीं हो रहा। बीते दिनों दिल्ली पुलिस व पत्रकारों के एक समूह के सामने एक नाबालिग का मामला सामने आया जिसके बाद कई चौंकाने वाली परतें खुली। दरअसल दिल्ली के कुछ इलाकों में जिहादी शिक्षा के संस्थानों के आगे खड़े रहते हैं व हिंदू बच्चियों का पीछा करते हैं। हाथ में कलावा, माथे पर टीका लगाए लगातार फॉलो करते रहते हैं और जो लड़की इनके झांसे में फंस जाती है उसे अपना हिंदू नाम बताकर उसे जाल में फंसा लेते हैं। जब लड़की पूरी तरह इनके जाल में फंस जाती है, उसके बाद उसको अपनी असली पहचान बताते हैं।
हाल ही में दिल्ली के कैलाश नगर की एक लड़की जिहादी के चंगुल से छूटी। उसने बताया कि एक ल़डका करीब सात महीने से उसका पीछा कर रहा था और एक दिन लड़की ने उससे पूछा कि तुम मेरा पीछा क्यों करते हो तो उसने कहा कि वह उससे दोस्ती करना चाहता है। फिर वे मिलने-जुलने लगे और दोस्ती हो गई। उस दौरान लड़के ने लड़की को अपना हिंदू नाम बताया था और एक काला धागा व एक ताबीज देते हुए गले में पहनने को बोला। उसे पहनने के बाद लड़की को चक्कर आते थे और अजीब सा लगता था, जिसको उसने उतार भी दिया लेकिन दोस्ती हवाला देकर जिहादी ने उसे फिर से पहना दिया। कुछ दिनों बाद दोस्ती प्यार में बदल गई और वह दोनों घर से भाग गए। थोड़ा समय बीता और जब लड़की पूरी तरह उसके चुंगल में फंस गई तो जिहादी ने उसको अपना असली नाम बताया और उसने कहा अब मैं तुमसे निकाह करूंगा और मौलवी व कुछ अन्य लोगों ने मिलकर उनका निकाह करवाया दिया। लड़की लाचार थी। कुछ दिनों बाद जिहादी उसे कहीं बेचने की बात कर रहा था तब लड़की वहां से भागी और उसने सारा घटनाक्रम बताया। जब जिहादी के परिवार से मामले की पूछताछ की गयी तो पता चला कि वह उसका परिवार था ही नहीं, कुछ अलग-अलग लोग एकसाथ मिलकर रह रहे थे।
ऐसे तमाम उदाहरण हैं लेकिन सवाल है कि क्या मात्र हल्ला मचाने से जिहाद खत्म हो जाएगा। ऑनलाइन क्लास के चक्कर में अब परिजन स्कूल के बच्चों को एक पूरे समय के लिए मोबाइल दे देते हैं लेकिन क्या कभी सोचा है कि क्लास के बाद बाकी समय बच्चे मोबाइल में क्या करते हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अबोध होते हैं इसलिए उनको हर पल समझना बेहद जरूरी है। जब बच्चे ट्यूशन व स्कूल जाएं तो कभी-कभी उनको लेने व छोड़ने भी स्वयं भी जाएं जिससे बच्चे सतर्क रहें। अपने बच्चों का स्वयं ध्यान रखिए। सरकार व कानून के भरोसे बहुत ज्यादा न रहें क्योंकि घटनाओं के आधार पर स्पष्ट हो रहा है कि मामले पहले से बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved