नई दिल्ली। कोरोना का डेल्टा वैरिएंट दुनियाभर में संक्रमण के एकबार फिर से बढ़ते मामलों का मुख्य कारण माना जा रहा है। तमाम अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने कोरोना के इस वैरिएंट को अपेक्षाकृत काफी संक्रामक और घातक बताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इस वैरिएंट को लेकर चिंतित है।
इस बीच हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया में कोरोना का कहर फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है। आने वाले वर्षों में कोरोना के और भी घातक वैरिएंट्स सामने आ सकते हैं। इसी संबंध में स्विटजरलैंड के ईटीएच ज्यूरिख विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजिस्ट ने कोविड-19 से घातक कोरोना के सुपर वैरिएंट ‘कोविड-22’ को लेकर लोगों को आगाह किया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के संभावित नवीनतम खतरों को लेकर भी लोगों को विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। कोरोना का सुपर वैरिएंट, मौजूदा समय में दुनियाभर के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहे कोरोना के डेल्ट वैरिएंट से कहीं अधिक खतरनाक हो सकता है। कोरोना के इस संभावित सुपर वैरिएंट से मुकाबला करने के लिए सिर्फ वैक्सीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि वैज्ञानिक सुपर वैरिएंट से संबंधित और किन खतरों को लेकर लोगों को सचेत कर रहे हैं।
कैसे हो सकेगा सुपर वैरिएंट से मुकाबला?
- विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजिस्ट प्रोफेसर डॉक्टर साई रेड्डी कहते हैं, भविष्य के इस गंभीर खतरे को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य संगठनों को अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। कोरोना के सुपर वैरिएंट से मुकाबले के लिए हमें और अधिक शक्तिशाली वैक्सीन की आवश्यकता हो सकती है। वहीं जिन लोगों को तब तक वैक्सीन नहीं लग पाएगी वह कोरोना के संभावित सुपर-स्प्रेडर साबित हो सकते हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कोरोना का सुपर वैरिएंट शरीर में बनी प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा दे सकता है, ऐसे में एक बार फिर से संक्रमण का खतरा सभी लोगों में हो सकता है। वहीं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी होगी, उनमें खतरा आज के मुकाबले कई गुना तक अधिक हो सकता है।
डेल्टा से भी हो सकता है ज्यादा खतरनाक
- कोरोना के संभावित सुपर वैरिएंट कोविड-22 को लेकर लोगों को सचेत करते हुए डॉक्टर साई रेड्डी कहते हैं, कोरोना की जिस स्थिति का हम अभी सामना कर रहे हैं, कोविड-22 उससे कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। डेल्टा वैरिएंट से मुकाबले के साथ-साथ हमें भविष्य की इस गंभीर चुनौती को लेकर भी अभी से तैयार रहना होगा। डॉ रेड्डी कहते हैं, फिलहाल दुनियाभर में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट का कहर जारी है। डेल्टा का वायरल लोड इतना अधिक है कि जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है या जो भी लोग इस वैरिएंट से संक्रमित हो जाते हैं, वह इसके सुपर स्प्रेडर हो सकते हैं। यही कारण है कि सभी लोगों को जल्द से जल्द टीकाकरण करा लेना चाहिए।
बच्चों को भी सुरक्षित करना जरूरी
- बच्चों में संक्रमण के खतरे को लेकर प्रोफेसर रेड़्डी कहते हैं, सभी लोगों के टीकाकरण का मतलब इसमें बच्चों को भी शामिल करने से है। कई अध्ययनों से स्पष्ट हो चुका है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों में टीकाकरण से कोई खतरा नहीं है। ठंड का मौसम में एक बार फिर से संक्रमण के मामलों में तेजी आ सकती है। इससे पहले सभी सरकारों को ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण कराने का लक्ष्य रखना होगा।
सुपर वैरिएंट को लेकर अभी से सतर्क रहने की जरूरत
- कोरोना के सुपर वैरिएंट को लेकर प्रोफेसर रेड़्डी कहते हैं, हमें ऐसे टीकों को विकसित करने की जरूरत है जो लगातार सामने आ रहे कोरोना के नए वैरिएंट्स से मुकाबले के अनुकूल हों। कोविड-22 से मुकाबले के लिए फिलहाल यही एक उपाय हो सकता है। कोरोना का यह नया रूप कितना घातक और संक्रामक हो सकता है, इसे जानने के लिए अध्ययन किया जा रहा है। फिलहाल इससे बचाव के लिए अभी से तैयार रहने की आवश्यकता है। कोरोना के मामलों के कम होने को कोरोना खत्म हो गया, यह समझ लेना हमारी सबसे बड़ी भूल साबित हो सकती है। सुपर वैरिएंट की स्थिति में इस तरह की भूल के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।