– 20 सितम्बर तक रहेगा भादौ मास – यह माह दान-पुण्य जप-तप के लिए अनुकूल – अनेक पर्व आएंगे
त्योहारों के माह भादौ की शुरुआत हो गई है। भादौ मास 23 अगस्त से 20 सितंबर तक रहेगा। हिंदू वर्ष का छठा महीना भाद्रपद मास सनातन धर्म के लिए विशेष माना गया है। यह महीना शिवजी को प्रिय सावन मास के बाद आता है।
मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास दान-पुण्य, जप-तप, खानपान आदि के लिए बेहद अनुकूल है। कहा जाता है कि भक्त इस महीने में सच्चे दिल से देवी-देवता की भक्ति करता है, उसे फल अवश्य प्राप्त होता है। इसके साथ इस महीने में किसी भी दोष आदि से मुक्ति पाने के लिए किए गए उपाय फलदायी होते हैं।
– कजली या कजरी तीज – यह व्रत भादौ महीने का पहला महत्वपूर्ण व्रत है। कजली या कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह 25 अगस्त को मनाया जाएगा। महिलाएं इस दिन व्रत रख कर पूजन और अनुष्ठान करेंगी।
– श्रीकृष्ण जन्माष्टमी – श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व हर साल भादौ मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 30 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा।
– अजा एकादशी – भादौ महीने की कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी कहते है। अजा एकादशी का व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा।
– भाद्रपद अमावस्या -भाद्रपद मास की अमावस्या 7 सितंबर को पड़ रही है। अमावस्या के दिन पिंडदान, तर्पण आदि धर्म-कर्म किया जाता है।
– हरतालिका तीज -हरतालिका तीज व्रत 9 सितंबर को रखा जाएगा। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हरतालिका तीज के दिन माता पार्वती को गौरी के रूप में पूजा की जाती है।
– गणेश चतुर्थी – भादौ के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को है। इस दिन श्रीगणेश भगवान की स्थापना की जाती है और इनका विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है।
– ऋषि पंचमी – ऋषि पंचमी व्रत 11 सितंबर को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है। सामूहिक रूप से यह व्रत भी महिलाएं करेंगी।
– परिवर्तनी डोल ग्यारस – परिवर्तनी एकादशी को देवझूलनी अथवा पदमा एकादशी भी कहते है। परिवर्तनी एकादशी का व्रत 17 सितंबर को रखा जायेगा। भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तनी एकादशी डोल ग्यारस कहते है।
– अनंत चतुर्दशी – अनंत चतुर्दशी पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, इस साल यह 19 सितंबर को पड़ेगी। श्रीगणेशजी को दस दिनों के बाद विदाई दी जाएगी।
– भाद्रपद पूर्णिमा – भादों की पूर्णिमा 20 सितंबर को पड़ रही है। यह भाद्रपद मास की अंतिम तिथि है। इसके बाद अश्विन मास का प्रारंभ होगा।
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