उज्जैन। जिला सहकारी बैंक मर्यादित की 172 साख संस्थाओं के 2018 से चुनाव नहीं हुए हैं, वहीं तभी से चैयरमेन पद पर प्रशासनिक अधिकारी काबिज हैं। जिला सहकारी बैंक मर्यादित को अपेक्स बैंक में मर्ज करने का षड्यंत्र करने के आरोप लग रहे हैं। इस पूरे मामले में राज्य शासन को हरकत में आना चाहिए ताकि बैंक के स्वायितता बची रहे। पिछले दिनों जिला सहकारी बैंक के एमडी पर भी आरोप लगे थे और इस मामले में क्या हुआ पता नहीं चला।
जिला सहकारी बैंक का संचालन बोर्ड एवं सहकारिता विभाग करता है। पूरे उज्जैन जिले में 30 ब्रांच हैं जिसमें बैंक के कर्मचारी होते हैं और साख संस्थाओं के सेक्रेटरी होते हैं। इधर पिछले 30-35 सालों से बैंक कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है, इसलिए सारा काम सहकारी संस्थाओं के नियुक्त सेक्रेटरी पूरा काम देख रहे हैं। इन सभी सहकारी संस्थाओं के सेकेट्रियों के ऊपर होते हैं चुने हुए चेयरमेन, जिसके 2018 से चुनाव नहीं हुए हैं। इन पदों पर वर्तमान में प्रशासनिक अधिकारी काबिज हैं। नई नियुक्ति नहीं होने के बावजूद पुराने कर्मचारी रिटायर होते जा रहे हैं और नए पद भरे नहीं जा रहे हैं। इस कार जिला सहकारी बैंक में बैंक के कर्मचारी की कमी हो चुकी है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि बैंक के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अर्थात भृत्य स्तर के व्यक्ति को ब्रांच मैनेजर बनाया जा रहा है और उनके अधीनस्थ संस्थाओं के सेक्रेटरी काम कर रहे हैं। दूसरी ओर सहकारी साख संस्थाओं के सेक्रेटरी या बैंक कर्मचारी जो कि बैंक कर्मचारी ना होकर जिला सहकारी बैंकों में सहकारी संस्थाओं द्वारा नियुक्त किए जाते हैं जो कि अस्थाई होते हैं लेकिन 2018 से सहकारी संस्थाओं के चुनाव नहीं हुए हैं जिसके चलते सहकारी संस्थाएं चेयरमैन नहीं चुन पाए हैं। सरकार ने 2018 से चेयरमेन के पद पर प्रशासनिक अधिकारियों को बैठा रखा है। इसलिए 2018 से प्रशासनिक अधिकारी सहकारी संस्थाओं द्वारा नियुक्त अस्थाई सेक्रेटरियों से बैंक का संचालन करवा रहे हैं। ऐसे में जिला सहकारी बैंक अपेक्स बैंक में मर्ज होने की स्थिति निर्मित हो रही है जिसमें सहकारी संस्थाओं एवं सहकारी साख संस्थाओं द्वारा नियुक्त जिला सहकारी बैंकों में सेक्रेटरियों का औचित्य नहीं रह जाएगा। इस सम्बंध में डीआर प्रशासनिक अधिकारी ओपी गुप्ता ने बताया कि चुनाव कराना और नहीं कराना सरकार की जिम्मेदारी है। शासन ने 2018 से चुनाव क्यों नहीं कराए हैं तथा अब सहकारी संस्थाओं के चुनाव सरकार कब कराएगी इसका फैसला शासन ही कर सकता है।
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