डेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) में पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद वहां पर बगावत भी शुरू हो गई है. कुछ गुट तालिबान (Taliban) के कब्जे से उनके इलाके छीनने की कोशिश में जुट गए हैं. इस बीच अफगान न्यूज का दावा है कि तालिबान (Taliban) के कब्जे से तीन जिले मुक्त करा लिए गए हैं. हालांकि इस पर तालिबान (Taliban) की ओर से कुछ नहीं कहा गया है.
Pajhwok अफगान न्यूज का दावा है कि अफगानिस्तान में अब्दुल हामिद दादगर ने तालिबान के कब्जे वाले अंद्राब बघलान के तीन जिलों को वापस मुक्त करा लिया है. हालांकि इस बारे में तालिबान की ओर से कुछ नहीं कहा गया है. ये शहर बघलान प्रांत के हैं.
दूसरी ओर, अफगानिस्तान (Afghanistan) के पंजशीर इलाकों में तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए पूर्व सैनिकों ने मोर्चा संभालना शुरू कर दिया है. इन सभी की अगुवाई अहमद मसूद (Ahmad Massoud) कर रहे हैं, जो कि तालिबानियों को मात दे चुके अहमद शाह मसूद के बेटे हैं.
अमेरिका करे हथियार से मददः मसूद
अहमद मसूद ने वॉशिंगटन पोस्ट (Washington Post) में एक लेख के जरिए उन्होंने तालिबान के खिलाफ लड़ाई को और जोर देने की बात कही है. मसूद का कहना है कि पंजशीर इलाके में उनके साथ मुजाहिद्दीन के हजारों लड़ाके हैं, जो तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं.
उनका कहना है कि अमेरिका भले ही अफगानिस्तान से चला गया हो, लेकिन वो हमें हथियार और अन्य मदद कर सकता है ताकि हम तालिबान को मात दे सकें. अन्य विदेशी रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अफगानिस्तानी सेना के कई मौजूदा और पूर्व सैनिक भी पंजशीर में अहमद मसूद के साथ हैं.
अमरुल्ला सालेह ने भी मोर्चा खोला
अहमद मसूद से इतर खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरुल्ला सालेह ने भी तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. वह तालिबान के खिलाफ लगातार रणनीति बना रहे हैं और पूर्व सैनिकों, पुलिस और अन्य लोगों के साथ मिलकर उसे मात देने को कोशिश में हैं. खास बात यह है कि अमरुल्ला भी इस वक्त पंजशीर में ही रुके हुए हैं. ऐसे में तालिबान को इस प्रांत से बड़ी चुनौती मिलने की संभावना है.
यही नहीं अफगानिस्तान तालिबानी शासन (Talibani Rule) की शुरुआत होने के बाद से ही स्थानीय जनता भी बेहद परेशान है. देश के अलग-अलग हिस्सों में सड़कों पर जनता ने तालिबान का विरोध करना शुरू कर दिया है.
राजधानी काबुल में शुरुआत में शांति रही, लेकिन अब यहां पर भी जनता ने तालिबान के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है. खास बात यह है कि ऐसे प्रदर्शनों की अगुवाई खुद महिलाएं कर रही हैं. अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में झंडा यात्रा निकाली गई, जहां लोगों ने तालिबानी झंडे का विरोध किया और राष्ट्रीय ध्वज को लहराया.
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