चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट (Madras Highcourt) की मदुरै बेंच (Madurai Bench) ने केंद्र सरकार के अधिकारियों को राजभाषा अधिनियम, 1963 के प्रावधान का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि केंद्र को उसी भाषा में जवाब देना चाहिए जिसमें राज्य सरकार आवेदन भेजे. हाईकोर्ट ने कहा, ‘एक बार अंग्रेजी में कोई बात कहने के बाद, यह केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि वह केवल अंग्रेजी में जवाब दे.’ मद्रास हाईकोर्ट का यह निर्देश मदुरै लोकसभा सांसद एस वेंकटेशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर आया है.
सांसद की जनहित याचिका में कहा गया है- ‘तमिलनाडु ने ग्रुप बी और ग्रुप सी में 780 रिक्त पदों को भरने के लिए लिखित परीक्षा के लिए पुडुचेरी में एक भी परीक्षा केंद्र स्थापित नहीं किया है. इसलिए मैंने 9 अक्टूबर को गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजकर उन्हें कम से कम एक परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा.’ इसमें कहा गया है, ‘गृह राज्य मंत्री ने नौ नवंबर को हिंदी में लिखे एक पत्र में जवाब भेजा था, इसलिए मुझे नहीं पता चला कि वो इसमें क्या कह रहे हैं.’
हर भाषा का अपना महत्व- मदुरै बेंच
सुनवाई के दौरान जस्टिस एन. किरुबाकरण और एम. दुरईस्वामी की बेंच ने कहा, ‘हिंदी में जवाब देना कानून का उल्लंघन है.’ पीठ ने कहा, ‘यह संवैधानिक कानूनी अधिकारों और 1963 के राजभाषा अधिनियम के विपरीत है. केंद्र सरकार को केवल अंग्रेजी में पत्र भेजना चाहिए.’ बेंच ने कहा कि केंद्र को चाहिए कि वह नियम का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे.
पीठ ने कहा, ‘मातृभाषा बहुत महत्वपूर्ण है. बुनियादी शिक्षा मातृभाषा में प्रदान की जानी चाहिए. लेकिन वर्तमान में शिक्षा के अंग्रेजी तरीके पर जोर दिया जाता है. आर्थिक दृष्टि से अंग्रेजी भाषा को अधिक महत्व दिया जाता है.’ पीठ ने कहा, ‘सरकार को प्रत्येक भाषा के महत्व को समझना चाहिए और उनके विकास के लिए उचित कदम उठाने चाहिए.’
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