हर मनुष्य की चाहत होती है कि उसे अचानक अपार धन की प्राप्ति हो, लेकिन यह धन आपको सिर्फ चाहने भर से नहीं मिल सकता। इसके लिए आपको मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) को प्रसन्न करना बहुत जरूरी है। जानकारों के अनुसार भी जीवन में धन-द्रव्य का महत्व नकारा नहीं जा सकता। अक्सर सुनने में आता है कि अमुक व्यक्ति बड़ा मेहनती है लेकिन, धन के लिए परेशान रहता है। धन संबंधी परेशानी किसी को भी कभी भी हो सकती है। ऐसे में अगर धन लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाए तो धन-द्रव्य की सभी परेशानियां (all the troubles) दूर की जा सकती हैं।
लाल रंग माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है इसलिए शुक्रवार के दिन माता महालक्ष्मी के मंदिर जाकर उन्हें लाल वस्त्र अर्पित करें. इसके साथ ही लक्ष्मी जी को लाल बिंदी, सिंदूर, लाल चुनरी और लाल चूडियां भी अर्पित करें. इससे धन संबंधी सारी परेशानियां दूर होती हैं.
मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए शुक्रवार के दिन पूजन करते समय अपने हाथ में लाल रंग के 5 फूल लें और माता का स्मरण करें. उनसे कृपा करने की प्रार्थना करें, फिर इन फूलों को अपनी तिजोरी या अलमारी में रख दें.
धन लक्ष्मी (Dhan Lakshmi) की उपासना के लिए सच्चे भाव से उनका स्मरण कर सुबह-शाम महालक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर पर कुंमकुंम, अक्षत, गंध, फूल चढ़ाकर और अगरबत्ती लगाकर आस्था और पवित्र भाव से करें। ध्यान रहे धन लक्ष्मी की पूजा करने वाले किसी भी हाल में स्त्री का अनादर नहीं करें।
महालक्ष्मी व्रत के 15 दिनों में किसी भी रात 3 से 5 बजे के बीच उठें। अपने घर के उस स्थान पर जायें,जहां से खुला आसमान दिखता हो। पश्चिम (West) की ओर मुख करके, दोनों हाथ आसमान की ओर उठा कर, लक्ष्मी जी धन की भिक्षा मांगें। फिर दोनों हथेलियों को मुंह की ओर फेर लें। कुछ दिनों में आमदनी के स्रोत बढ़ने लगेंगे। यह उपाय आप महालक्ष्मी व्रत के 15 दिन के अलावा , किसी और दिन से भी शुरु कर सकते हैं।
सवा पांच किलो आटा एवं सवा किलो गुड लें। दोनों का मिश्रण कर रोटियां बना लें। शुक्रवार के दिन सायंकाल गाय को खिलाएं। तीन शुक्रवार (Friday) तक यह कार्य करने से दरिद्रता समाप्त होती है। अनायास धन की प्राप्ति होती है।
ऊँ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:।
धन लक्ष्मी का यह मंत्र धन और वैभव की सारी कामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है, लक्ष्मी उपासना के लिए हो सके तो सादे-स्वच्छ श्वेत वस्त्र पहनें। इस उपासना के पूर्व पवित्रता का विशेष ध्यान रखें –
क्षीरदायै धनदायै बुद्धिदायै नमो नम:।
यशोदायै कीर्तिदायै धर्मदायै नमो नम:।।
गृह लक्ष्मी, माता या घर की सबसे बड़ी स्त्री को भी आदर देते हुए सर्वप्रथम उसे ही प्रसाद ग्रहण कराएं तत्पश्चात स्वयं ग्रहण करें।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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