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    OBC आरक्षण: Congress-BJP के बाद अब संघ भी जंग में कूदा

  • August 13, 2021

    • कमलनाथ के आरोपों के बाद मुख्यमंत्री ने बुलाई बड़ी बैठक

    भोपाल। प्रदेश में ओबीसी (OBC)  27 प्रतिशत आरक्षण (Reservation) देने का मुद्दा दिनों दिन सुर्ख होता जा रहा है। अभी तक ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर कांग्रेस एवं भाजपा (Congress- BJP) एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। अब ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) की आग में संघ भी कूद गया है। अभी तक आर्थिक आधार पर आरक्षण की पैरवी कर रहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी ओबीसी आरक्षण के पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है। हाल ही में संघ की ओर से बयान आया है कि समानता के लिए आरक्षण जरूरी है। हालांकि ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर)को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान भी संघ की देन है। ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का मामला फिलहाल कोर्ट (Court) में है। 1 सितंबर को मप्र हाईकोर्ट (MP High Court) में इसकी अहम सुनवाई होना है। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने पिछड़े वर्ग से आने वाले मंत्री एवं विधायकों की बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में तय हुआ कि अगली सुनवाई में सरकार मजबूती से पक्ष रखेगी। कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वरिष्ठ वकील तुषार मेहता को बुलाएंगे। साथ ही सरकार की तरफ से प्रकरण की अंतिम सुनवाई कर फैसला करने का आवेदन दिया जाएगा।

    विधायक की मांग 37 फीसदी दो आरक्षण
    भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल ने कहा कि ओबीसी की 300 से ज्यादा जातियां है। इनमें से 200 से ज्यादा जातियां खत्म हेा गई हैं। विधायक ने कहा कि ओबीसी को 37 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए।

    ये थे बैठकम में शामिल
    ओबीसी आरक्षण को लेकर बुलाई गई बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा मंत्री भूपेन्द्र सिंह, कमल पटेल, मोहन यादव, इंदर सिंह परमार, सुरेश धाकड़, बृजेन्द्र सिंह यादव, प्रेम सिह पटेल, विधायक कृष्णा गौर, प्रदीप पटेल, जालिम सिंह पटेल, रामखेलावन पटेल, बीजेपी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भगत सिंह कुश्वावाह और एडवोकेट जनरल पुरुषेन्द्र कौरव मौजूद रहे।

    आरक्षण पर 3 घंटे मंथन, दो घंटे अलग से बैठे मंत्री
    ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार टेंशन में है। अगले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार इस मामले को निपटाना चाहती है। यदि हाईकोर्ट में निपटारा नहीं होता है तो फिर यह सुप्रीम कोर्ट में पहुंच सकता है। यह भी संभव है कि ओबीसी आरक्षण का मामला पदोन्नति में आरक्षण की तरह सुप्रीम कोर्ट में लंबा खिंच जाए। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में बुलाई गई बैठक में ओबीसी मंत्री और विधायक तीन घंटे बैठे। जिसमें से दो घंटे तक मंत्रियों ने अलग से बैठकर चर्चा की। बैठक के बाद नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 27 ओबीसी ओबीसी आरक्षण देना सुनिश्चित किया जाए। न्यायालय में होने वाली अगली सुनवाई में देश के दिग्गज वकीलों की सेवाएं ली जाएंगी। सुनवाई में स्वयं एडवोकेट जनरल न्यायालय से आग्रह करेंगे कि इसी सुनवाई को अंतिम मानकर पिछड़ा वर्ग के हित में 27 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी जाए।

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