ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का विशेष महत्व (special importance) है। शनि एक राशि से दूसरी राशि में जाने में करीब ढाई साल का समय लेते हैं। शनि राशि परिवर्तन के जरिए एक साथ पांच राशियों पर असर डालते हैं। जब शनि गोचर (Saturn transit) काल से आठवें या चौथे भाव में स्थित होते हैं तब शनि की यह स्थिति शनि ढैय्या कहलाती है।
शनि ढैय्या (Shani Dhaiyya) से पीड़ित राशि वालों को आर्थिक मोर्चे पर कष्टों का सामना करना पड़ता है। बेवजह खर्च बढ़ जाते हैं। इस दौरान कुछ लोगों को आर्थिक तंगी तक का सामना करना पड़ सकता है। शनि ढैय्या की स्थिति में मानसिक तनाव भी रहता है। कई बार व्यक्ति बुरी संगत में पड़ जाता है।
शनि ढैय्या के दौरान इन बातों से बचें-
शनि ढैय्या से पीड़ित राशि वालों को मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
खुद के स्वार्थ के लिए दूसरों को कष्ट न पहुंचाएं।
झूठ नहीं बोलना चाहिए।
किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
पैसों के मामले में सावधानी बरतनी चाहिए।
तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या का असर-
शनि ढैय्या के उपाय-
शनि दोष (Shani Dosha) से पीड़ित राशि वालों को हर शनिवार शनिदेव के मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का जाप करना चाहिए। शनिवार को सुबह स्नान आदि करके पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाना शुभ माना जाता है। प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप और सुंदरकाण्ड (Sunderkand) का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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