नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को नरेन्द्र मोदी सरकार के पहले सात साल के कार्यकाल पर ‘एक्सेलरेटिंग इंडिया: 7 इयर्स ऑफ मोदी गवर्नमेंट’ पुस्तक का विमोचन किया।
उप-राष्ट्रपति निवास में आयोजित समारोह में नायडू ने कहा कि भारत स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहा है और यह एक संवैधानिक प्रगति के मूल्यांकन का भी समय है। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ भेदभाव के बिना सम्मानजनक जीवन का अधिकार एक संकल्प है जिसे हमने अपने गणतंत्र की शुरुआत में खुद को दिया है, जिसे हर समय बरकरार रखा जाएगा।
उपराष्ट्रपति ने सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के अलावा नागरिकों को सेवाओं की गुणवत्ता और समय पर वितरण में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सेवा वितरण के मौजूदा मॉडलों की समीक्षा करने और सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले जिलों से अच्छी प्रथाओं को दोहराने का आह्वान किया। सरकारी कार्यक्रमों के लिए ‘वितरण ही कुंजी है’ को रेखांकित करते हुए नायडू ने कहा कि सुधार का कोई मतलब नहीं है जब तक कि बिना देरी के सेवाओं की डिलीवरी को सुनिश्चित नहीं किया जाता है। उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को भारत में शासन की परिवर्तनकारी यात्रा में निर्णायक क्षण के रूप में संदर्भित किया।
उन्होंने 2024 तक लगभग 20 करोड़ घरों में नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के लिए सरकार की सराहना की। लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए कौशल और अवसरों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि अच्छी शिक्षा के साथ-साथ हमें अपने युवाओं को सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने की आवश्यकता है। उन्होंने निजी क्षेत्र से युवाओं को कुशल बनाने और उनकी रोजगार क्षमता में सुधार के लिए नवीनतम तकनीकों से परिचित कराने के सरकार के प्रयासों को पूरा करने का आह्वान किया।
स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न जन-केंद्रित पहलों का उल्लेख करते हुए नायडू ने देश में ‘बॉक्स से बाहर सोचने और शासन को बदलने की मांग’ करने के लिए सरकार की सराहना की। यह देखते हुए कि प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत पहल स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से गरीबों के लिए 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने लाखों बच्चों को डायरिया से होने वाली मौतों से बचाया और महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा प्रदान की।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक ‘दूरदर्शी दस्तावेज’ बताते हुए नायडू ने कहा कि इसमें भारत में शिक्षा को एक समग्र, मूल्य-आधारित और एक सुखद सीखने का अनुभव बनाने का वादा है। इसी तरह, प्राथमिक स्तर पर शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा पर जोर देना और मातृभाषा में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पेशकश करने की पहल स्वागत योग्य कदम है।
नायडू ने इस बात को रेखांकित किया कि हमारे जैसे संघीय राज्य में प्रगति केवल केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संवाद के माध्यम से ही संभव है। उन्होंने कहा कि टीम इंडिया की अवधारणा, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने अक्सर रेखांकित किया है, एकमात्र रास्ता है। उन्होंने केंद्र और राज्यों से सहयोग करने और राष्ट्र की प्रगति के लिए निरंतर बातचीत करने का आह्वान किया।
भाजपा सांसद और भारत सरकार में सचिव रहे केजे अलफोंस ने इस पुस्तक की संकल्पना की है। ओकब्रिज द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक की प्रस्तावना एनएसए अजीत डोभाल ने लिखी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अलफोंस ने कहा कि हमने इस किताब में मोदी सरकार के पहले सा साल के कार्यकाल के दौरान 25 अलग-अलग क्षेत्रों जैसे आंतरिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि में लाई गई नीतियों और कार्यक्रमों का संकलन किया है। भारत सरकार के सेक्रेटरीज और रिटायर्ड सेक्रेटरी ने इसे कलमबद्ध किया है। (एजेंसी, हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved