इंदौर। इंदौर जिले में कोरोना महामारी से अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चे अनाथ नहीं रहेंगे। ऐसे बच्चों के हितों की रक्षा और उनके सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करने के लिये कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा पालक एवं सहपालक अधिकारियों की नियुक्ति की गई है।
इन अधिकारियों की एक दिवसीय कार्यशाला कलेक्टर कार्यालय में सम्पन्न हुई। कार्यशाला में कलेक्टर मनीष सिंह सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
कार्यशाला में कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि शीघ्र ही ऐसे अनाथ बच्चों की बैठक कलेक्टर कार्यालय में आयोजित की जायेगी। उनकी समस्याओं को सुना जायेगा और उनके निराकरण के हर संभव प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने निर्देश दिये कि सभी पालक एवं सहपालक अधिकारी हर बच्चें से नियमित रूप से संवाद करें और उनकी माता-पिता की तरह देखभाल करें। उन्हें किसी भी तरह की कमी महसूस नहीं होने दें।
कार्यशाला में बताया गया कि कोविड-19 से माता-पिता/अभिभावकों की मृत्यु के कारण अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा, खाद्यान सुरक्षा तथा आर्थिक सहायता के लिए मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना प्रदेश में लागू की गयी है। शासन के निर्देशों के क्रम में योजना में दिये गए निर्देशानुसार ऐसे बालक/बालिकाओं जिनके माता-पिता/अभिभावकों की मृत्यु हुयी है और जो योजना गाइडलाइन अनुसार पात्र पाये गए हैं, ऐसे बच्चों को और अधिक योजना का लाभ दिलाने, उनकी शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं उनके माता-पिता की संपत्ति उनके नाम हस्तांतरित कराये जाने एवं अन्य सहायता प्रदान करने हेतु पालक अधिकारी एवं सहायक पालक अधिकारी नियुक्त किए गये हैं। उक्त अधिकारी माह में एक बार एवं सहायक पालक अधिकारी 15 दिन में एक बार बालक/बालिकाओं से भेंट कर उनकी सकुशलता सुनिश्चित करेंगे। साथ ही यह ध्यान रखेंगे कि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो।
कलेक्टर मनीष सिंह ने निर्देश दिए कि सभी अधिकारी सौंपे गये दायित्वों का पूर्ण मानवीय संवेदना के साथ निर्वहन करें। बताया गया कि उक्त अधिकारी योजना अंतर्गत पात्र बच्चों के माता-पिता के नाम दर्ज चल-अचल संपत्ति की सुरक्षा करें। वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए बच्चों के नाम हस्तांतरित कराना सुनिश्चित करें। योजना अंतर्गत पात्र बालक/बालिकाओं को सभी लाभ प्राप्त हो यह सुनिश्चित किया जाये। योजना अंतर्गत पात्र बालक/बालिकाओं को शिक्षा शुल्क या अन्य किसी तरह की समस्या आने पर जनसहयोग से बालक/बालिकाओं को सहयोग प्रदान करें। साथ ही पालक अधिकारी इन बच्चों की सुरक्षा संबंधी व्यवस्थाओं को भी सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि पालक एवं सहायक पालक अधिकारी बच्चों के संरक्षक एवं परिवार में जिम्मेदार व्यक्ति से भी निरन्तर सम्पर्क में रहें तथा अपना मोबाईल नम्बर उन्हे देकर रखें। इसके साथ-साथ समय-समय पर यह भी ध्यान रखें कि तीन माह में एक बार सभी बालक-बालिकाओं, उनके संरक्षकों एवं पालक अधिकारियों एवं सहायक पालक अधिकारियों की एक सामूहिक भेंट आयोजित हो, जिसमें अधिकारियों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों को अधिकारियों के साथ साझा किया जाएगा, ताकि पात्र बालक/बालिकाओं का सर्वोत्तम हित सुनिश्चित किया जा सके।
कार्यशाला में अपर कलेक्टर पवन जैन ने मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अभी तक 37 बच्चों को लाभान्वित किया जा रहा है। (एजेंसी, हि.स.)
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