नई दिल्ली। विश्वविद्यालयों (Universities) को फिर से खोलने के मामले में विश्वविद्यालयों और छात्रों के बीच तीखी नोकझोंक सामने आ रही है। जहां एक कई शिक्षक (Teachers) संगठन अभी भी विश्वविद्यालय को फिर से खोलने के पक्ष में नहीं (Not in favor) हैं, वहीं छात्र (Students) चाहते हैं कि कक्षाएं (Classes) तत्काल खोली जाएं (Be opened)।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी तमाम विश्विद्यालयों को तुरंत खोलने की मांग की है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि पिछले डेढ़ वर्ष से विश्वविद्यालय बंद है जिसके कारण विज्ञान के छात्रों को लगातार प्रायोगिक विषयों में कठिनाई हो रही है। इसके अलावा दूसरी लहर के बाद से ही विश्वविद्यालय के हॉस्टल, लाइब्रेरी, डिपार्टमेंट्स आदि सभी बंद है, जिसके कारण पोस्ट ग्रेजुएशन और शोध छात्रों को लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि 5 अगस्त को विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक आदेश जारी किया था। इस आदेश के मुताबिक 16 अगस्त से विज्ञान के छात्रों के लिए कैम्पस खोलने का निर्णय लिया गया था। हालांकि एक दिन बाद ही 6 अगस्त की शाम को विश्विद्यालय प्रशासन ने यह निर्णय को वापस ले लिया।
अभाविप के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा, “अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद चरणबद्ध तरीके से सभी नियमों का ध्यान रखते हुए विश्वविद्यालयों को खोलने की मांग काफी समय से प्रशासन से कर रहा है। हमें खुशी हुई थी जब दिल्ली विश्वविद्यालय ने 16 अगस्त से विज्ञान के छात्रों के लिए कैंपस को खोलने का निर्णय लिया था लेकिन उसके अगले दिन ही इस निर्णय को वापिस ले लिया। इससे छात्रों में भारी रोष है। अगर कैम्पस अभी नहीं खोला गया तो विद्यार्थी परिषद आगे एक लंबे जोरदार धरने की तैयारी कर चुकी है।”
छात्रों के विपरीत दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न शिक्षक संगठन, विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों को खोले जाने का विरोध कर रहे हैं। डूटा का कहना है कि अभी तक छात्रों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। साथ ही कक्षाएं खोलने पर सोशल डिस्टेंसिंग भी संभव नहीं हो सकेगी। ऐसे में फिलहाल फिजिकल कक्षाएं शुरू करना छात्र एवं शिक्षकों के हित में नहीं है।
डूटा की कोषाध्यक्ष आभा देव हबीब ने कहा, “यह लिखना आसान है कि सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए लेकिन यह कैसे सुनिश्चित किया जाए। क्या वास्तव में प्रोटोकॉल का पालन किया जा सकता है।”उन्होंने कहा, “यूजी कॉलेजों और विज्ञान विभागों दोनों में, कक्षाओं और प्रयोगशालाओं में भीड़भाड़ है। एमएससी भौतिकी विभाग में वास्तव में समायोजित किए जा सकने वाले छात्रों की संख्या अधिक है।”
डूटा की ओर से आभा देव हबीब ने कहा, “कितने छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने अपना और अपने परिवार का टीकाकरण कराया है, इस बारे में कोई रिपोर्ट प्रकाशित करने की विश्वविद्यालय ने परवाह नहीं की है।”
छात्रों एवं शिक्षकों के बीच उत्पन्न हुए इस अंतर्विरोध के बाद अब फिलहाल कम से कम दिल्ली विश्वविद्यालय में फिजिकल कक्षाएं आरंभ नहीं की जा रही है। छात्र इससे बेहद नाराज हैं और उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति समेत शिक्षा मंत्री से गुहार लगाने का निर्णय किया है।
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