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China border पर सैनिकों के हाथों में आईं अमेरिकी सिग सॉयर 716 असॉल्ट राइफलें

August 08, 2021

– लद्दाख के नयोमा में फॉरवर्ड बेस पर जवानों को दी गईं स्विस एमपी-9 पिस्टल

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा (China border in eastern Ladakh) के अग्रिम मोर्चों पर तैनात सैनिकों के हाथों में भी अब अमेरिकी सिग सॉयर 716 असॉल्ट राइफलें (American Sig Sauer 716 Assault Rifles) और स्विस एमपी-9 पिस्टल (Swiss MP-9 Pistol) आ गईं हैं। इससे पहले हिमाचल प्रदेश से सटी एलएसी और जम्मू सहित पंजाब से सटी पाकिस्तानी सीमा पर यह अमेरिकन राइफलें दी गईं थीं। चीन से विवाद के बीच भारतीय सेना लगातार अपनी ताकत बढ़ा रही है। साथ ही चीन की हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सरकार भी सेना को हरसंभव संसाधन उपलब्ध करा रही है।

चीन से 12वें दौर की वार्ता में बनी सहमति के आधार पर पूर्वी लद्दाख के विवादित बिंदुओं में से एक गोगरा पोस्ट इलाके के पेट्रोलिंग प्वाइंट-17ए से 5-6 अगस्त को दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटा ली गईं हैं। एलएसी पर पैन्गोंग झील और पीपी-17ए से सेनाओं के पीछे हटने के बाद अब हॉट स्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं। इस बीच भारतीय सेना को हर मोर्चे का सामना करने के लिए हरसंभव संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसी के मद्देनजर पूर्वी लद्दाख के नयोमा में फॉरवर्ड बेस पर सेना के जवानों को एसआईजी सॉर 716 असॉल्ट राइफल और स्विस एमपी-9 पिस्टल मुहैया कराई गई है, ताकि चीन से लगे बॉर्डर पर सेना के जवान हर चुनौती का सामना कर सकें।


भारतीय सेना ने फरवरी, 2019 में अमेरिकी कम्पनी ‘सिग सॉयर’ से 600 मीटर दूरी तक मार करने की क्षमता वाली 72 हजार सिग-716 असॉल्ट रायफलें खरीदी थीं। फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) सौदे के तहत 647 करोड़ रुपये से खरीदी गईं 7.62X51 मिमी. कैलिबर की असॉल्ट रायफल्स की जब दिसम्बर, 2019 में आपूर्ति हुई तो सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के उधमपुर स्थित उत्तरी कमान को दी गईं। भारतीय सेना की सभी पैदल सेना की बटालियनों को कम से कम 50 प्रतिशत सिग सॉयर रायफलें मिली हैं। पाकिस्तान और चीन की सीमा पर तैनात पैदल सेना की बटालियनों को सिग सॉयर रायफल अधिक संख्या में मिली हैं, जबकि अन्य बटालियनों को कम से कम 50 प्रतिशत दी गई हैं। इसके अलावा इन रायफल्स का इस्तेमाल भारतीय सेना अपने एंटी-टेरर ऑपरेशन्स में कर रही है।

लगभग 13 लाख की क्षमता वाले भारतीय सशस्त्र बलों की आंशिक जरूरतें पूरी न होते देख भारतीय सेना ने इसके बाद पूर्वी लद्दाख में चीन से सैन्य टकराव के बीच 72 हजार और असॉल्ट रायफल्स खरीदने के लिए अमेरिकी सिग सॉयर कंपनी से 780 करोड़ रुपये का सौदा किया। इनमें से करीब 36 हजार असॉल्ट रायफल्स छह माह पहले मार्च में भारतीय सेना को मिल गईं हैं। हिमाचल प्रदेश से सटी एलएसी और जम्मू सहित पंजाब से सटी पाकिस्तानी सीमा पर तैनात सभी सैनिकों को ‘सिग सॉयर’ रायफल दी जा चुकी है। इन रायफल्स का उद्देश्य होता है ‘शूट टू किल’, इसीलिए इनका इस्तेमाल अमेरिका के अलावा दुनियाभर की करीब एक दर्जन देशों की पुलिस और सेनाएं करती हैं।

चीन की सीमा पर तैनात सैनिकों को दी गईं अमेरिकी असॉल्ट रायफलों के इस्तेमाल में आ रहीं दिक्कतों को दूर करने में देशी ‘जुगाड़’ की तकनीक काम आई है। दरअसल सिग-716 के लिए बने विजन सिस्टम में सैनिक को बताने के लिए एक संकेतक होता है कि गोली वास्तव में कहां लगेगी। अन्य स्थलों के उपयोग के मामले में अलग-अलग लेकिन न्यूनतम अंतर पर सूचक होते हैं। रायफल को हैंडल देने के लिए सेना ने इसमें अतिरिक्त किट भी लगाई है, जिससे रायफल की पकड़ छोटे हाथों वालों के लिए भी बेहतर हो गई है। इसके अलावा सेना ने मूल अमेरिकी मेक को स्थानीय रूप से निर्मित 7.62 लाइट मशीन गन (एलएमजी) के आसानी से उपलब्ध राउंड के साथ बदल दिया है। अब एक बिपोड के साथ रायफल को एलएमजी के रूप में अधिक सटीकता के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। (एजेंसी, हि.स.)

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