भोपाल। प. बंगाल में मिली करारी हार के बाद भाजपा और आरएसएस (BJP & RSS) के रणनीतिकार मिशन 2023 और 2024 की तैयारी में जुट गए हैं। इसके लिए अभी से राजनीतिक जमावट शुरू हो गई है। इसी कड़ी में नए राष्ट्रपति की भी खोज चल रही है। रणनीतिकारों ने बड़े वोट बैंक को साधने के लिए अनसुईया उइके का नाम आगे बढ़ाया है। उइके का 34 साल का राजनीतिक कैरियर निर्विवाद है। वे समन्वय की राजनीति में माहिर हैं। और सबसे बड़ी बात वे आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) का चार साल पूरा हो गया हैं। उनके कार्यकाल अब एक साल से भी कम समय बचा है। अगले साल मार्च से राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। जून में चुनाव होगा और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का शपथ होगा। इसको देखते हुए भाजपा के रणनीतिकार नए राष्ट्रपति के लिए ऐसे चेहरे की तलाश में जुटे हुए हैं, जिसकी नियुक्ति से बड़े वोट बैंक को साधा जा सके।
एक तीर से कई निशाने- आरएसएस और भाजपा के रणनीतिकार एक तीर से कई निशाना लगाना चाहते हैं। यानी वे अगला राष्ट्रपति ऐसे चेहरे को बनाना चाहते हैं जिससे दलित, आदिवासी और ओबीसी जनसंख्या को साधा जा सके। उनकी इस रणनीति पर छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुईया उईके (Governor Anasuiya Uikey) फिट बैठती हैं। गौरतलब है कि भारत के आजाद होने के बाद अभी तक 14 राष्ट्रपति हुए हैं। इनमें से दो दलित राष्ट्रपति हुए हैं और एक मुस्लिम। 97 में केआर नारायणन पहले दलित राष्ट्रपति बने थे। उनके बाद 2017 में मोदी सरकार ने रामनाथ कोविड को राष्ट्राध्यक्ष के पद पर बिठाया। देश में एक बड़ी आबादी होने के बाद भी अभी तक किसी आदिवासी को राष्ट्रपति बनने का मौका नहीं मिला है। ऐसे में अनसुईया उइके तुरूप का इक्का साबित हो सकती हैं।
आदिवासी बहुल राज्यों में भाजपा कमजोर
राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर महत्वपूर्ण आदिवासी बहुल राज्यों में भाजपा का राजनैतिक चरित्र सवर्णवादी रहा है। ऐसे में भाजपा को डर है कि 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी इसे चुनावी मुद्दा न बना लें, इसलिए उन्होंने अनसुईया उईके को राष्ट्रपति बनाने पर चर्चा शुरू कर दी है। गौरतलब है की देश की 8.6 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या है। करीब दर्जनभर राज्यों में आदिवासी निर्णायक वोटर हैं। त्रिपुरा में आदिवासियों की आबादी 31.8 फीसदी है तो सिक्किम में 33.8, मणिपुर में 35.1, झारखंड में 26.2, 30.6, ओडिशा में 22.8 और मप्र में 20 फीसदी। वहीं अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, मेघालय, दादर एवं नागर हवेली और लक्षद्वीप भी आदिवासी बहुल राज्य हैं। इन आदिवासी बहुल राज्यों में से अधिकांश में भाजपा कमजोर है इसलिए यहां के बड़े वोट बैंक को साधने की कवायद चल रही है।
निर्विवाद और समन्वयकारी चेहरा
नए राष्ट्रपति के लिए अनसुईया उइके का नाम सर्वाधिक चर्चा में है। इसकी वजह यह है कि उनकी छवि निर्विवाद और समन्वयकारी राजनेता की है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेहद नजदीक हैं। वे हमेशा सक्रिय रहती हैं। आदिवासी समाज के होते हुए भी उनकी पैठ अन्य समाजों में है। भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस और अन्य पार्टियों के नेताओं के बीच उनको सम्मान प्राप्त है।
लोकप्रियता में सबसे आगे
वर्तमान समय में देश में जितने भी आदिवासी नेता हैं, उनमें अनसुईया उईके सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं। छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनने के बाद जनता से संवाद कायम करने उन्होंने कई कदम उठाई है। खासकर, राजभवन से आम आदमी की दुरियां सिमट गई हैं। वहीं, आदिवासियों के विकास के लिए वे सतत प्रयत्नशील रहती हैं। अनुसईया आदिवासी होने के साथ ही महिला भी हैं। अभी तक मात्र एक महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल हुई हैं। अनसुईया को फायदा ये मिलेगा कि इस समय आदिवासी वर्ग में इस पद पर बिठाने के लिए भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। उपर से महिला। अनसुईया को सरकार में रहने का अनुभव भी है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved