मुंबई। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीतियों पर शुक्रवार को आए फैसलों में महंगाई का दबाव साफ देखा गया। गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी माना कि विकास की राह में महंगाई सबसे बड़ा रोड़ा है। पेट्रोलियम और खाद्य उत्पादों की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण आरबीआई को 2021-22 के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान भी 0.60 फीसदी बढ़ाना पड़ा।
गवर्नर दास ने कहा, चालू वित्तवर्ष में खुदरा महंगाई हमारे 6 फीसदी के दायरे को छू लेगी। अनुमान है कि 2021-22 में खुदरा महंगाई दर 5.7 फीसदी रहेगी। जून की बैठक में यह 5.1 फीसदी रहने का अनुमान था। बढ़ती महंगाई के कारण ही ब्याज दरों को स्थिर रखना पड़ा।
वैसे तो अर्थव्यवस्था कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के दबाव से बाहर आ रही है, लेकिन खुदरा महंगाई अब भी चिंता का विषय है। सितंबर तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.9 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 5.3 फीसदी और मार्च तिमाही में 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है। अगले वित्तवर्ष में भी खुदरा महंगाई से खास राहत नहीं मिलेगी और यह 5.1 फीसदी रह सकती है। वहीं, जून में खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के तय 6 फीसदी दायरे से बाहर आकर 6.3 फीसदी रही थी।
ब्याज कटौती का मिला लाभ, कर्ज 2.17 फीसदी सस्ता : शक्तिकांत
गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीतियों के तहत ब्याज दरें घटाने का सीधा लाभ कर्जधारकों को मिला है। फरवरी, 2019 से अब तक पुराना कर्ज 1.70 फीसदी और नया 2.17 फीसदी सस्ता हो चुका है। अपनी पहली एमपीसी बैठक में रेपो रेट 0.25 फीसदी घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया था। तब मेरा पूरा जोर इस कटौती का सीधा लाभ ग्राहकों को दिलाना था। इसीलिए, बैंकों को सभी खुदरा कर्ज बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने का निर्देश दिया। जुलाई, 2021 तक रेपो रेट 2.50 फीसदी घटकर 4 फीसदी पर आ गया, जिसमें 2.17 फीसदी कटौती का सीधा लाभ मिला है। महामारी के दौरान नए कर्जधारकों को 1.46 ब्याज कटौती का लाभ मिला है।
तीन रास्तों से बढ़ाएंगे पूंजी तरलता
कर्ज पुनर्गठन पर छह महीने का और समय
आरबीआई ने संकट में चल रहीं कंपनियों को कर्ज पुनर्गठन का लाभ लेने के लिए छह महीने का समय और दिया है। पहले इन कंपनियों को 31 मार्च, 2022 तक आवश्यक परिचालन सीमा तक पहुंचना जरूरी था। अब यह समय छह महीने बढ़ाकर 1 अक्तूबर, 2022 कर दिया है।
विकास को प्राथमिकता
आरबीआई ने ब्याज दरें स्थिर रखकर महंगाई के ऊपर विकास को तरजीह दी है। एमपीसी के फैसलों से पता चलता है कि गवर्नर दास की मंशा महंगाई जैसे तात्कालिक झटकों से उबरते हुए ठोस व टिकाऊ विकास दर लक्ष्य पाने का है।
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