भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सहकारिता हमारे संस्कारों एवं संस्कृति में है। हम “सर्वे भवन्तु सुखिन:” तथा “वसुधैव कुटंबकम्” के मार्ग पर चलते हैं। सबके लाभ, सबके कल्याण और सबकी भलाई की सोच ही सहकारिता है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ने कोविड काल में सहकारिता के माध्यम से आपदा नियंत्रण का आदर्श प्रस्तुत किया। जिला, ब्लॉक, वार्ड एवं ग्राम स्तरीय क्राइसिस मैनेजमेंट समितियों ने कोरोना नियंत्रण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार को मंत्रालय में “म.प्र. में सहकारिता आंदोलन: नई ऊर्जा, नई शक्ति और नए क्षितिज” विषयक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों के सहकारिता विशेषज्ञ, सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, सांसद रमाकांत भार्गव, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सहकारिता भगवान की तरह ही सर्वव्यापी है तथा सबका कल्याण करती है। विशेष रूप से छोटे लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है। उनके पास बुद्धि, दक्षता, क्षमता तो है पर आर्थिक और अन्य संसाधन नहीं हैं। सहकारिता उन्हें ये सब प्रदान करती है। प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में सहकारिता के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे।
महिला स्व-सहायता समूहों ने उदाहरण प्रस्तुत किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में महिला स्व-सहायता समूहों ने सहकारिता का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रदेश में इन्हें सशक्त बनाने के लिए 1400 करोड़ रुपये का बैंक ऋण 4% ब्याज दर पर उपलब्ध कराया गया है।
सहकारिता के माध्यम से अर्थ-व्यवस्था का नवनिर्माण
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सहकारिता के माध्यम से अर्थ-व्यवस्था का नवनिर्माण किया जाएगा। पर्यटन, डेयरी, पशुपालन, मत्स्य-पालन आदि विभिन्न क्षेत्रों में सहकारिता को मजबूत बनाया जाएगा। प्रदेश में सहकारिता ‘ग्रोथ का इंजन’ बनेगी।
फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में फसलों का बंपर उत्पादन है। यहाँ देश में सर्वाधिक गेहूँ होता है। उद्यानिकी फसलों का भी बहुत उत्पादन है। प्रदेश में सहकारिता के माध्यम से फूड प्रोसेसिंग को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाएगा।
“अमूल दूध पीता है इंडिया”
उन्होंने अमूल के निदेशक आरएस सोडी से कहा कि ‘अमूल’ की कमाल की मार्केटिंग है। ‘अमूल दूध पीता है इंडिया’ गीत मेरी जुबान पर भी है।
“मैं विद्यार्थी हूँ मार्गदर्शक नहीं”
कार्यशाला में जब मुख्यमंत्री चौहान को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया गया, तो उन्होंने कहा कि “मैं विद्यार्थी हूँ मार्गदर्शक नहीं।” यहाँ सहाकरिता के बड़े-बड़े विशेषज्ञ आए हैं, मैं उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करने आया हूँ। मैं सभी का आभारी हूँ कि उन्होंने प्रदेश को अपना अमूल्य समय दिया।
सहकारिता आंदोलन को गति मिली है
सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने कहा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सहकारिता आंदोलन को गति मिली है। आज की कार्यशाला में आए सहकारिता के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के अनुभवों का लाभ सहकारिता आंदोलन को मिलेगा।
सहकारिता को पूंजी की आवश्यकता
आरबीआई सेंट्रल बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे ने कहा कि आज सहकारिता क्षेत्र में पूंजी की आवश्यकता है। इसके लिए मौजूदा कानूनों में आवश्यक संशोधन करते हुए सहकारी संस्थाओं को अधिक अधिकार संपन्न बनाना आवश्यक है। उन्होंने सहकारिता को सुदृढ़ करने के लिए बेहतर वातावरण निर्माण की आवश्यकता बताई।
मराठे ने कहा कि किसानों की आय दोगुना करने में डेयरी क्षेत्र महत्वपूर्ण है। इससे उनकी आय में अच्छी वृद्धि हो सकती है। मध्यप्रदेश में एनिमल सीड बनाने तथा खाद्य प्र-संस्करण की बड़ी संभावनाएँ हैं। मध्यप्रदेश में तिलहन का अच्छा बाजार था। प्रदेश में तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाया जाना चाहिए।
बेहतर वातावरण की आवश्यकता
मराठे ने कहा कि भारत में लगभग 8.5 लाख सहकारी समितियाँ पंजीकृत हैं। इनमें से गृह निर्माण संस्थाओं को छोड़कर शेष 4.5 से 5 लाख सहकारी समितियाँ सीधे आर्थिक गतिविधियों से जुड़ी हैं। उन्हें सशक्त करने के लिए सहकारिता के क्षेत्र में बेहतर वातावरण निर्माण की आवश्यकता है। पर्यटन के क्षेत्र में सहकारिता के माध्यम से आय की अच्छी संभावनाएँ हैं।
फसलों का मूल्य गिरने पर भी सहकारिता सबल
कैम्पो के अध्यक्ष किशोर कुमार ने कहा कि सहकारिता फसलों के बाजार मूल्य गिरने पर भी उन्हें सपोर्ट प्रदान करती है। कर्नाटक राज्य में जब लहसुन के दाम गिरे तो सहकारी समितियों ने बड़ी मात्रा में अच्छे मूल्य पर लहसुन खरीदकर किसानों की सहायता की। यह सहकारिता की शक्ति है। उन्होंने सहकारिता के माध्यम से खेती में तकनीकी के उपयोग पर बल दिया।
सहकारिता छोटे कार्य करने वाले लोगों के लिए है
अमूल के क्षेत्रीय निदेशक आरएस सोडी ने कहा कि सहकारिता उन छोटे-छोटे कार्य करने वाले व्यवसाइयों और कामगारों के लिए है, जो अकेले कुछ नहीं कर सकते। वे साथ मिलकर बहुत अच्छा कार्य कर सकते हैं। सहकारिता के क्षेत्र को लाभदायक बनाने के लिए इसमें पेशेवर लोगों की सहायता लेनी होगी। आधुनिक तकनीकी का भी उपयोग आवश्यक है। मार्केटिंग और ब्रान्डिंग पर भी ध्यान देना होगा। सोडी ने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है और इसके लिए मुख्यमंत्री चौहान बधाई के पात्र हैं।
किसानों को सहकारिता प्रशिक्षण
सहकारिता विशेषज्ञ डीडी त्रिपाठी ने कहा कि किसानों को सहकारिता का प्रशिक्षण देकर उनके कृषक उत्पादन संगठन बनाए जा सकते हैं। स्व-सहायता समूहों एवं किसानों की सहकारी समितियों को कृषि उत्पाद प्र-संस्करण के लिए प्रोत्साहित किया जाए। सहकारिता के क्षेत्र में मानव संसाधन नीति भी बनानी होगी। प्रदेश में कोल्ड चेन, भंडारण को भी बढ़ावा देना होगा।
दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश चौथे स्थान पर
सहकारिता विशेषज्ञ सुभाष पाण्डे ने कहा कि मध्यप्रदेश डेयरी क्षेत्र में बहुत पीछे था परंतु मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से इस क्षेत्र में अच्छी प्रगति हुई है। आज दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में चौथे स्थान पर है।
अधिकतम रोजगार देना मकसद
इंडियन कॉफी वर्कर्स कॉ-ऑपरेटिव सोसाइटी (इंडियन कॉफी हाउस) के एंटोनी ने कहा कि हमारी सहकारी संस्था का मुख्य उद्देश्य अधिकतम रोजगार देना है। मध्यप्रदेश में अभी हमारी 36 ब्रांच हैं। अब छोटे-छोटे शहरों में भी कॉफी हाउस खोले जा रहे हैं।
0% ब्याज पर ऋण बड़ा कदम
सांसद एवं सहकारिता विशेषज्ञ रमाकांत भार्गव ने कहा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री चौहान द्वारा किसानों को 0% ब्याज पर कृषि ऋण दिया जाता है तथा ब्याज की राशि सरकार भरती है। यह कृषि एवं सहकारिता के क्षेत्र में बड़ा कदम है। पूरे प्रदेश में डेयरी एवं मत्स्य-पालन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
स्व-रोजगार के अवसर बढ़ाने आवश्यक
वाशिंगटन डीसी के सहकारिता विशेषज्ञ प्रो. शशिका रवि ने कहा कि मध्यप्रदेश में स्व-रोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता है। कृषि तकनीकी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। फसलों की प्रोसेसिंग भी की जाए।
सहकारिता की परिभाषा बताई
सहकार भारती के प्रदेश अध्यक्ष विवेक चतुर्वेदी ने सहकारिता की परिभाषा बताते हुए कहा कि जब धन, श्रम एवं बुद्धि तीनों शक्तियाँ एक साथ लगती हैं तो इसका लाभ सभी में बँटता है, वही सहकारिता है। मध्यप्रदेश में श्रमिक सहकारी समितियों का गठन किया जाना चाहिए। प्रारंभ में मध्यप्रदेश राज्य योजना एवं नीति आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। (एजेंसी, हि.स.)
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