इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) के कब्जे वाले कश्मीर यानी PoK में पाकिस्तान आज (रविवार को) विधान सभा चुनाव (Assembly Elections In PoK) करवा रहा है. हालांकि चुनाव का आयोजन दुनिया की आंखों में सिर्फ धूल झोंकने के लिए किया गया है और इसी चुनावी मौसम में इमरान खान (Imran Khan) ने वहां के लोगों पर जनमत संग्रह (Referendum In Kashmir) का जाल फेंका है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने का वादा किया है. जोकि PoK पर इमरान खान का नया प्रपंच है.
PM इमरान का वादा साबित होगा झूठा
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने पीओके में एक चुनावी रैली के दौरान कहा कि मेरी हुकूमत फिर एक रेफरेंडम (Kashmir Plebiscite) करवाएगी और उस रेफरेंडम में कश्मीर के लोगों को हम कहेंगे कि आप फैसला करें कि पाकिस्तान के साथ रहना चाहते हो या आजाद होना चाहते हो.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के तराड़ खेल इलाके के बीच 100 किलोमीटर से कम की दूरी है. और यहीं पर यानी तराड़ खेल में शुक्रवार को इमरान खान चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान बिना सोचे-समझे, बिना पढ़े-जाने इमरान खान ने कश्मीर में रेफरेंडम यानी जनमत संग्रह करवाने का वादा किया
बिलावल ने इमरान खान पर साधा निशाना
कश्मीर में जनमत संग्रह को लेकर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी (Bilawal Bhutto Zardari) ने इमरान खान पर निशाना साधा. बिलावल ने PoK में जनमत संग्रह करवाने के इमरान खान के प्रस्ताव को खारिज किया. उन्होंने कहा कि पीएम इमरान खान हमेशा कश्मीर के बारे में गलत बोलते हैं. इमरान कश्मीर के लोगों को मूर्ख मानते हैं.
रैली के दौरान पीएम इमरान खान ने ये भी कहा कि इंशाअल्लाह एक दिन आएगा. मुझे अल्लाह पर पूरा ईमान है कि जितनी कश्मीर के लोगों ने कुर्बानियां दीं, ये कुर्बानियां जाया नहीं होंगी. अल्लाह ने आपको वह हक देना है. रेफरेंडम होगा इंशाल्लाह और आप फैसला करेंगे कि हिंदुस्तान नहीं आप पाकिस्तान के साथ जाना चाहते हैं.
पीओके में जबरन बसाए गए पंजाबी मुसलमान
जान लें कि प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर PoK की कुल आबादी करीब 50 लाख है, लेकिन इसमें कश्मीरी मुसलमानों की संख्या बहुत कम है. यहां पर 85 प्रतिशत पंजाबी मुसलमान हैं. पीओके के लोगों को भी इमरान खान के वादे झूठ लगते हैं क्योंकि वहां पाकिस्तान की सेना लोगों का दमन करती है. अत्याचार का विरोध करने पर लोगों को जेल में बंद कर दिया जाता है. सड़क-बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं लोगों को मुहैया नहीं करवाई जाती हैं. पीओके को आतंकवादियों का गढ़ बना दिया गया है.
यहां तक कि पाकिस्तान की सेना जबरन वहां लोगों के घरों पर कब्जा कर लेती है. दुनिया जानती है कि पाकिस्तान, PoK में चुनाव तो कराता है, सरकार भी बनवाता है लेकिन वो सरकार इस्लामाबाद की कठपुतली की तरह काम करती है. पाकिस्तान की सरकार और सेना के खिलाफ PoK के लोगों में कितना गुस्सा है. ये भी किसी से छिपा नहीं है. पाकिस्तान यूएन में कश्मीर का मुद्दा बार-बार उठाता रहा है. पाकिस्तान कश्मीर पर अपना हक जताता है. दलील में 1948 के यूएन रिजोल्यूशन को आधार बनाता है.
ये हैं यूएन की तीन कड़ी शर्तें
लेकिन उसी यूएन रिजोल्यूशन में साफ लिखा है कि कश्मीर विवाद का हल ढूंढने के लिए भारत और पाकिस्तान को तीन महत्वपूर्ण कदम उठाने थे. जिसमें पहला था पाकिस्तान, कश्मीर से अपनी सेना पूरी तरह से हटा ले. दूसरी शर्त थी कि भारत, पाकिस्तान के हमले से बचने के लिए सीमित संख्या में कश्मीर में सेना तैनात कर सकता है. तीसरी शर्त थी कि पहली दोनों स्थितियां हासिल होने के बाद कश्मीर में जनमत संग्रह करवाया जाए, लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने कभी भी पहली शर्त को ही नहीं माना तो फिर कश्मीर में जनमत संग्रह कैसे संभव है.
कश्मीर पर पाकिस्तान का दावा है खोखला
लगता है कि इमरान खान ने यूएन रिजोल्यूशन की ये तीन शर्तें शायद नहीं पढ़ी हैं. इसलिए उन्हें अंदाजा नहीं होगा कि वो क्या कह रहे हैं. जाहिर है अगर कश्मीर पर पाकिस्तान का दावा सच होता तो वो UNCIP के Resolution को जरूर मानता. लेकिन उसने कभी ऐसा नहीं किया क्योंकि पाकिस्तान जानता है कि कश्मीर में जनमत संग्रह का मतलब होगा पाकिस्तान की करारी शिकस्त.
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