भोपाल। प्रदेश में इस बार तबादलोंं में मंत्रियों की ज्यादा नहीं चल पा रही है। राज्य सरकार (State Government) ने तबादलों पर एक महीने के लिए रोक हटाई, लेकिन अभी तक उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department) को छोड़कर अन्य किसी विभाग ने सूचियां जारी नहीं की हैं। जबकि नीति के अनुसार 6 दिन बार तबादलों पर फिर से प्रतिबंध लग जाएगा। तबादलों को लेकर मंत्री और विभागीय अफसरों के बीच पटरी नहीं बैठ पा रही है। सबसे ज्यादा खराब हालात शिक्षा विभाग (Education Department) में बन रहे हैं। शिक्षा विभाग (Education Department) अभी तक अलग से तबादला नीति बनाता रहा है। तबादलों के लिए पूरा ऑनलाइन सेटअप (Online Setup) है। विभागीय मंत्री ने ऑनलाइन प्रक्रिया को दरकिनार कर प्रदेश भर से शिक्षकों के ऑफलाइन आवेदन
(Offline Application) बुलाए हैं।
सभी जिलों से शिक्षा अधिकारियों के जरिए ही तबादला सूचियां भेजी गई हैं। लोक शिक्षण संचालनायलय में इन दिनों शिक्षकों की तबादलों को लेकर काम हो रहा है। शिक्षकों की तबादला सूचियां अनुमोदन के लिए मंत्री के पास भेज दी गई हैं। साथ ही मंत्री बंगले पर भी अलग से तबादला सूची तैयारी की गईं हैं। विभागीय अफसरों पर मंत्री स्टाफ द्वारा तैयार की गई तबादला सूची जारी करने का दबाव है, लेकिन अधिकारी बिना भौतिक सत्यापन के तबादला आदेश जारी करने को तैयार नहीं है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि यदि शिक्षकों की तबादला सूची में मंत्री और अफसरों के बीच तालमेल नहीं बैठा तो फिर 31 जुलाई तक तबादला आदेश जारी होने की संभावना कम ही है।
शहरी क्षेत्र आना चाहते हैं शिक्षक
शिक्षकों के ज्यादातर आवेदन अलग-अलग माध्यमों के जरिए मंत्री तक सीधे पहुंचे हैं। तबादलों के लिए अर्जी लगाने वाले ज्यादातर शिक्षक ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र के स्कूल में आना चाहती हैं। जबकि शिक्षा विभाग की तबादला नीति में अभी तक यह प्रावधान रहा है कि शहरी क्षेत्र से गांव जाने वालों को प्राथमिकता दी जाए। क्योंकि शहरी क्षेत्रों में शिक्षक ज्यादा पदस्थ है। एक ओर स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहीं दूसरी ओर भोपाल, इंदौर जैसे शहरों में 500 से ज्यादा शिक्षक अतिशेष हैं। जो शहर के बाहर जाने को तैयार नहीं है।
प्रभु ने बिगाड़ दिया था सिस्टम
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में शिक्षकों के तबादले किए गए थे। तब शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी थे, वे आज शिवराज सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं। प्रभु के शिक्षा मंत्री रहते शिक्षकों के तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन बुलाए, लेकिन आदेश ऑफलाइन जारी किए गए। तबादलों में नीति का ध्यान नहीं रखा गया। ऐसी स्थिति में आधा दर्जन जिलों के संैंकड़ों स्कूल शिक्षक विहीन हो गए थे। ऑनलाइन तबादला नीति में शिक्षकों को 10 स्कूलों का विकल्प देना होता है।
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