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CM नीतीश ने दोहराई जातीय जनगणना की मांग, कहा- गरीबों की गिनती बेहद जरूरी

July 24, 2021

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish kumar) ने स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए 350 एम्बुलेंस का वितरण किया और 50 सीएनजी बसों के परिचालन का शुभारंभ हरी झंडी दिखाकर किया. उन्होंने इस मौके पर कहा कि लोगों को अस्पताल ले जाने में दिक्कत ना हो इसके लिए मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत एंबुलेंस दिये गये.

जल्द ही 850 एंबुलेंस और लाभुकों को दिये जायेंगे. इसके साथ ही पटना शहर में प्रदूषण को कम करने के लिए सीएनजी बसों का परिचालन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में एक बार फिर जातीय जनगणना (Caste Census) की मांग दोहराते हुए कहा कि यह हर हाल में होना ही चाहिए.

सीएम नीतीश ने कहा कि 2019 के फरवरी और 2020 के फरवरी में विधानसभा से यह सर्व सहमति से प्रस्ताव पारित किया गया कि जनगणना जाति आधारित हो. एक बार जातीय आधार पर जनगणना जरूर होनी चाहिए. इससे पता चलेगा की SC- ST के अलावा गरीब-गुरबा तबके के जो लोग हैं, उनकी संख्या क्या है. उनको इसका लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट में बताया गया कि नहीं हो सकता है तो हमने फिर आग्रह किया है जातीय जनगणना होनी चाहिए.


बता दें कि राष्ट्रीय जनता दल ने भी जातिगत जनगणना की मांग की है. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर बयान जारी करते हुए कहा था कि बिहार के दोनों सदनों में बीजेपी (BJP) जातीय जनगणना का समर्थन करती है, लेकिन संसद में बिहार के ही कठपुतली मात्र पिछड़े वर्ग के राज्यमंत्री से जातीय जनगणना नहीं कराने का एलान करवाती है. केंद्र सरकार OBC की जनगणना क्यों नहीं कराना चाहती? बीजेपी को पिछड़े/अतिपिछड़े वर्गों से इतनी नफ़रत क्यों है?

तेजस्वी यादव ने कहा कि जनगणना में जानवरों की गिनती होती है. कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोड़ा, शेर-सियार, साइकिल-स्कूटर सबकी गिनती होती है. कौन किस धर्म का है, उस धर्म की संख्या कितनी है इसकी गिनती होती है लेकिन उस धर्म में निहित वंचित, उपेक्षित और पिछड़े समूहों की संख्या गिनने में क्या परेशानी है? उनकी गणना के लिए जनगणना किए जाने वाले फ़ॉर्म में महज एक कॉलम जोड़ना है. उसके लिए कोई अतिरिक्त खर्च भी नहीं होना है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि जब तक पिछड़े वर्गों की वास्तविक संख्या ज्ञात नहीं होगी तो उनके कल्याणार्थ योजनाएं कैसे बनेंगी? उनकी शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बेहतरी कैसे होगी? उनकी संख्या के अनुपात में बजट कैसे आवंटित होगा? वो कौन लोग हैं जो नहीं चाहते कि देश के संसाधनों में से सबको बराबर का हिस्सा मिले?

राजद नेता ने कहा कि जातीय जनगणना के लिए हमारे दल ने लंबी लड़ाई लड़ी है और लड़ते रहेंगे. यह देश के बहुसंख्यक यानि लगभग 65 फ़ीसदी से अधिक वंचित उपेक्षित उपहासित प्रताड़ित वर्गों के वर्तमान और भविष्य से जुड़ा मुद्दा है. मोदी सरकार पिछड़े वर्गों के हिंदुओं को क्यों नहीं गिनना चाहती है, क्या उन पिछड़े वर्गों के 70-80 करोड़ लोग हिंदू नहीं हैं ?

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