डेस्क। आज 24 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि है. आज के ही दिन महाभारत के रचियता और संस्कृत के महाज्ञानी द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था. द्वैपायन व्यास ने ही संसार को चारों वेदों का ज्ञान दिया था और 18 महापुराणों की रचना की थी, इसलिए उन्हें प्रथम गुरू का दर्जा दिया जाता है और वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता है. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन प्रथम गुरू की जन्मतिथि होने के कारण इसे गुरू पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
शास्त्रों में गुरू के स्थान को भगवान से भी बड़ा बताया गया है. गुरू वो होता है जो अपने शिष्य को अज्ञानता के अंधकार की ओर से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है और उसका जीवन सुधारता है. इसलिए गुरू पूर्णिमा को भाग्योदय की तिथि भी माना जाता है. आज के दिन अपने गुरू के चरणों का वंदन करने के अलावा कुछ विशेष उपाय भी किए जा सकते हैं, जो आपकी किस्मत को चमका सकते हैं.
सबसे पहले करें गुरू वंदन
गुरू पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले गुरू वंदन करें. इसके लिए सुबह घर की सफाई करने के बाद स्नानादि से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद घर के किसी पवित्र स्थान पर पाटे पर सफेद वस्त्र बिछाएं व उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं. फिर ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र पढ़कर पूजा का संकल्प लें. उसके बाद दसों दिशाओं में अक्षत छोड़े. अब अपने गुरु की या उनका फोटो रखकर पूजा करें. फिर व्यासजी और अपने गुरू को याद करके आवाह्न करें. उन्हें रोली, अक्षत, पीले वस्त्र, फल, फूल व माला, धूप, पीले रंग का प्रसाद बनाकर अर्पित करें. इसके बाद उनके चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें और उनसे जीवन में अज्ञानता और अहंकार को दूर करने की प्रार्थना करें.
गुरू पूजन के बाद करें ये उपाय
इन मंत्रों का करें जाप
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