इंदौर। दिग्गज आईटी कम्पनियों (IT Companies) टीसीएस और इन्फोसिस (TCS, Infosys) को पहले तो शासन (Governance) ने कोडिय़ों के दाम जरूरत से ज्यादा जमीन (Land) लुटा दी और अब अतिरिक्त जमीन (Land) लीज शर्तों के उल्लंघन के चलते वापस लेने की कवायद शुरू की गई। मुख्यमंत्री (Chief Minister) के निर्देश पर कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने इन दोनों आईटी कम्पनियों (IT Companies) को आवंटित जमीनों (Land) और अभी तक दिए गए रोजगार की जांच-पड़ताल शुरू करवाई। सुपर कॉरिडोर (Super Corridor) पर प्राधिकरण (Authority) की 230 एकड़ जमीन (Land) इन कम्पनियों को उपलब्ध कराई गई है।
जमीन की नपती हेतु प्राधिकरण टीम कल मौके पर पहुंची, मगर फिर एक फोन आ गया, जिसके चलते टीम को वापस बिना नपती और जांच के ही लौटना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि दिग्गज आईटी कम्पनियों (IT Companies) से अतिरिक्त जमीन (Land) वापस लेना इतना आसान नहीं है और दिल्ली दरबार से ही फोन आ जाएंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने इन्फोसिस और टीसीएस (TCS, Infosys) को उपलब्ध करवाई गई जमीन और लीज डीड (Lease Deed) शर्तों की जांच संयुक्त कलेक्टर प्रतुल्ल सिन्हा (Pratul Sinha) को सौंपी और 23 जुलाई तक उनसे रिपोर्ट मांगी, जिसमें लीज डीड (Lease Deed) की शर्तों के अनुसार चरणबद्ध तरीके से अभी तक किए गए निवेश, निर्माण और उपलब्ध करवाए गए रोजगार (Employment), जिसमें नियोजित इंजीनियर (Engineer) की संख्या और उसमें से मध्यप्रदेश के कितने इंजीनियरों को रोजगार दिया गया इसकी जानकारी मांगी गई। दरअसल टीसीएस को जो 100 एकड़ जमीन दी गई है उसके एवज में पहले चरण पर 350 और दूसरे और तीसरे चरण पर 150 करोड़ का निवेश कम्पनी को करना था और 10 हजार इंजीनियर आईटी और प्रोफेशनल की नियुक्ति होना थी, जबकि कम्पनी ने साढ़े 4 हजार रोजगार की ही मौखिक जानकारी दी है। इसी तरह इन्फोसिस को भी पहले चरण में 3 हजार और फिर अगले 10 वर्षों में 10 हजार, इस तरह 13 हजार इंजीनियरों को रोजगार देना था और मात्र 672 की ही मौखिक जानकारी दी गई।
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