वाशिंगटन। भारत को कोरोना महामारी (corona pandemic) ने गंभीर रूप से प्रभावित किया है। दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के मामले में भारत (India) दूसरे स्थान पर और संक्रमितों की मौत के मामले में तीसरे स्थान पर है। दुनियाभर में कोरोना से संक्रमण (corona infection) और मौत के मामलों में अमेरिका पहले स्थान पर है। वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, भारत में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या तीन करोड़ 12 लाख से ज्यादा है जबकि संक्रमण से अब तक चार लाख 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
इसी बीच एक अमेरिकी अध्ययन में चौंकाने वाली बात सामने आई है। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत में कोरोना से 34 से 49 लाख लोगों की मौत हुई है। यह संख्या भारत सरकार के आंकड़ों से 10 गुना से भी ज्यादा है। रिपोर्ट को तैयार करने वालों में चार साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन भी शामिल हैं।
वाशिंगटन के अध्ययन संस्थान सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों, अंतरराष्ट्रीय अनुमानों, सेरोलॉजिकल रिपोर्टों (Serological Reports) और घरों में हुए सर्वे को आधार बनाया गया है। अरविंद सुब्रमण्यन, अभिषेक आनंद और जस्टिन सैंडफर ने दावा किया है कि मृतकों की वास्तविक संख्या कुछ हजार या लाख नहीं दसियों लाख है। गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों पर पहले भी संशय जताया गया है।
अमेरिकी अध्ययन में कहा गया है कि भारत में जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच कोविड-19 से लगभग 50 लाख (4.9 मिलियन) लोगों की मृत्यु हुई है, जिससे यह विभाजन और स्वतंत्रता के बाद से देश की सबसे बड़ी मानव त्रासदी बन गई है। वहीं कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट दुनिया भर में चिंता की एक नई लहर पैदा कर रहा है।
सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट (Center for Global Development) ने रिपोर्ट में भारत में मौतों के अनुमानों की तीन रूपरेखा तैयार की है। ये सभी भारत में मौत के आधिकारिक आंकड़े चार लाख से 10 गुना ज्यादा होने की ओर इशारा करते हैं।
यहां तक कि अध्ययन में उल्लिखित एक मध्यम अनुमान के अनुसार, सात राज्यों से राज्य-स्तरीय नागरिक पंजीकरण के आधार पर, 34 लाख (3.4 मिलियन) अतिरिक्त मौतों को सूचित करता है।
दूसरी गणना में, भारतीय सीरो सर्वे के आंकड़ों को आधार पर आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर (IFR) के अंतर्राष्ट्रीय अनुमानों को लागू करने से लगभग 40 लाख (4 मिलियन) मौत का आंकड़ा सामने आता है।
रिपोर्ट में तीसरी गणना, उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण के विश्लेषण के आधार पर आधारित है। इसमें एक देशांतरीय पैनल ने सभी राज्यों में 8,00,000 से अधिक व्यक्तियों की मौतों का अनुमान लगाया है, जिससे यह अनुमान 49 लाख (4.9 मिलियन) से अधिक मौतों का होता है।
हालांकि शोधकर्ता यह स्वीकार करते हैं कि सांख्यिकीय आकलन के साथ कोविड-मृत्यु का अनुमान लगाना आंकड़ों को भटकाने वाला साबित हो सकता है, रिपोर्ट में कहा गया है कि मौत का आंकड़ा ‘आधिकारिक गणना से अधिक परिमाण का एक क्रम होने की संभावना है’ और ‘सैकड़ों हजारों के बजाय अब तक लाखों लोग मर गए होंगे।’
अभिषेक आनंद, जस्टिन सैंडफर और अरविंद सुब्रमण्यम द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आंकड़ों-आधारित अनुमानों को समझना और उनसे जुड़ना आवश्यक है क्योंकि इस भयावह त्रासदी में गणना और परिचारक की जवाबदेही अभी नहीं बल्कि भविष्य के लिए भी गिना जाएगा।’
संक्रमण की पहली लहर भी दूसरी के बराबर ही घातक थी
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पहली लहर अनुमान से ज्यादा घातक थी। दूसरी लहर में हजारों लोग ऑक्सीजन, बेड और टीकों की कमी से मारे गए, लेकिन मार्च 2020 से फरवरी 2021 के दौरान महामारी की पहली लहर के आकंड़ों को वास्तविक समय में इकट्ठा ही नहीं किया गया। बहुत संभव है कि उस दौरान मारे गए लोगों की संख्या दूसरी लहर जितनी ही भयानक हो। आज भी देश में सिर्फ सात फीसदी से कम आबादी का पूर्ण टीकाकरण हुआ है। भारत के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगस्त में तीसरी लहर सामने आ सकती है।
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