नई दिल्ली। कोरोना काल में सुरक्षात्मक दृष्टि से लगे लॉकडाउन के कारण लोगों की नियमित दिनचर्या काफी प्रभावित हुई है। लोगों का सुबह वॉक पर जाना इस समय न के बराबर हो गया है जिसे स्वास्थ्य विशेषज्ञ सेहत के लिए काफी नुकसानदायक बताते हैं।
इसी से संबंधित हाल ही में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ता बताते हैं कि यदि आप नियमित रूप से ताजी हवा में सैर करने के लिए बाहर जा रहे हैं, तो यह शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से सेहत के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। सभी लोगों को अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए दिनचर्या में इस आदत को जरूर शामिल करना चाहिए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के कारण लगे प्रतिबंधों के कारण लोग ताजी हवा में सैर करने की आदत से दूर होते जा रहे हैं, सेहत के नजरिए से इस आदत को नुकसानदायक माना जा सकता है। कोरोनाकाल में मानसिक स्वास्थ्य के बढ़ते मामलों के लिए इसे भी एक संभाविक कारक के रूप में देखा जाना चाहिए।
खुली हवा में सैर करना बेहद जरूरी
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट और मेडिकल सेंटर हैम्बर्ग-एपपॉर्फ (यूकेई) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में वैज्ञानिक अध्ययन ने सुझाव दिया कि ताजी हवा में सैर करने की आदत न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मस्तिष्क की संरचना पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। भले ही आप थोड़े समय के लिए ही खुली हवा में घूमते हैं, इसके भी काफी लाभ हो सकते हैं। इस अध्ययन को द वर्ल्ड जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल साइकेट्री में प्रकाशित किया गया है।
कई स्तर पर किया गया अध्ययन
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने छह महीने तक नियमित रूप से मध्यम आयु वर्ग छह व्यक्तियों को शामिल कर उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखी। एमआरआई का उपयोग करते हुए इन लोगों के मस्तिष्क के 280 से अधिक स्कैन किए। सभी प्रतिभागियों के पूरे दिन के अनुभवों और व्यवहार पर फोकस किया गया, इसमें भी विशेष रूप से उस एक घंटे पर ध्यान दिया गया जो प्रतिभागियों ने बाहर खुली हवा में बिताए थे। इसके अलावा प्रतिभागियों से तरल और कैफीनयुक्त पेय पदार्थों के सेवन, बाहर बिताए गए समय और शारीरिक गतिविधि के बारे में पूछा गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन कारकों का मस्तिष्क पर क्या असर पड़ सकता है?
कार्यशील स्मृति और एकाग्रता में होता है इजाफा
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलेपमेंट के प्रमुख और अध्ययन के प्रमुख लेखक सिमोन कुह्न कहते हैं, इस अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर कहा जा सकता है कि जब हम बाहर खुली हवा में समय बिताते हैं तो इससे हमारे मस्तिष्क की संरचना और मनोदशा में सुधार होता है। यह कार्यशील स्मृति और एकाग्रता को बढ़ाने में काफी सहायक हो सकती है। इतना ही नहीं यह मस्तिष्क में ऐसे परिवर्तन भी ला सकता है जो चुनौतीपूर्ण कार्यों को आसानी से हल करने की क्षमता प्रदान करते हैं। पर्यावरण से हमारा सीधा संपर्क होने बहुत आवश्यक है।
क्या हैं अध्ययन के निष्कर्ष?
मेडिकल सेंटर हैम्बर्ग-एपपॉर्फ (यूकेई) में मनोचिकित्सा विभाग के अन्ना माशेरेक कहते हैं, इस अध्ययन के निष्कर्ष मानसिक विकारों के उपचार में भी सहायक हो सकते हैं। मानसिक रोगियों को चिकित्सा के हिस्से के रूप में डॉक्टर ताजी हवा में टहलने की सलाह दे सकते हैं। जिस तरह से हमें परिणाम देखने को मिले हैं इस आधार पर कहा जा सकता है कि बाहर खुली हवा में घूमने की आदत मानसिक रोगों की समस्याओं को काफी हद तक कम करने में बेहद सहायक हो सकती है।
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