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न्याय नगर में हुए अन्याय के खिलाफ आज हंगामेदार आमसभा

July 19, 2021

  • बब्बू-छब्बू के खेल, 500 के हड़पे भूखंड, नोटरी पर बन गए ढाई सौ मकान

इंदौर। भूमाफियाओं के चंगुल में फंसी न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था की लम्बे समय बाद प्रशासन ने आज आमसभा आयोजित करवाई है, जिसमें पीडि़तों द्वारा हुए घोटालों और उनको भूखंड ना मिलने पर हंगामा भी मचाया जाएगा। हालांकि पुलिस-प्रशासन की पुख्ता व्यवस्था रखी गई है। दोपहर 12 बजे से रविन्द्र नाट्यगृह में यह आमसभा आयोजित की गई है। चर्चित भगोड़े भूमाफिया दीपक जैन उर्फ मद्दा ने बब्बू-छब्बू जैसे गुंडों के बल पर भी न्याय नगर में अवैध कब्जे करवाए और जमीनों को हड़प लिया। इतना ही नहीं, 250 से अधिक भूखंडों पर नोटरी के जरिए पक्के मकान निर्मित करवा दिए।


पिछले दिनों पुलिस ने न्याय नगर घोटाले में बब्बू-छब्बू के अलावा राजेश सेंगर, अकरम खान, सज्जाद हुसैन, इमरान, समीर शेख और नितिन सिद्ध को भी पिछले दिनों राजस्थान से पकड़ा था। प्रशासन ने इन घोटालेबाजों के खिलाफ खजराना थाने में एफआईआर भी दर्ज करवाई। 14 बिन्दुओं के एजेंडे पर आज आमसभा आहुत की गई है। इंदौर की जो चर्चित और सबसे दागी गृह निर्माण संस्थाएं रही है उनमें न्याय नगर भी अव्वल है। प्राधिकरण की योजना 171 में शामिल रही न्याय नगर संस्था पर भी सालों पहले भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया। 1992 में चम्पालाल सिद्ध ने न्याय नगर संस्था बनाई और ढाई हजार से अधिक इसके सदस्य हैं। 200 एकड़ में फैली न्याय नगर में ए से लेकर डी सेक्टरों में भूखंड काटे गए और लगभग 1200 सदस्यों के पास रजिस्ट्रियां हैं, तो 700 के पास कब्जे और 500 से ज्यादा सदस्य ऐसे हैं जिनके भूखंडों पर अवैध कब्जे और निर्माण हो गए। दरअसल बब्बू-छब्बू जैसे भूमाफिया के सहयोगियों ने ये अवैध कब्जे नोटरी के जरिए करवाए। एमआर-10 के दोनों तरफ संस्था की जमीन मौजूद है जो भूमाफियाओं के कब्जे में आ गई।

कॉलोनियों के भीतर कट गई नए नामों से कालोनियां
न्याय नगर की जमीनों पर अवेैध कब्जे तो हुए, वहीं नए नामों से कालोनियां भी भूमाफियाओं ने विकसित कर डाली। सरस्वती नगर के अलावा कृष्णबाग और राधे विहार जैसी कालोनियां भी न्याय नगर की जमीन पर ही कट गई। ज्यादा सेक्टर सी और डी में यह खेल हुए।


2018 से भंग पड़ा है बोर्ड… ऑडिट भी
आमसभा में 14 विषयों का एजेंडा जारी किया है। प्रशासक प्रवीण जैन सहकारिता विभाग की ओर से नियुक्त हैं। 2016-17 तक का संस्था का ऑडिट करवाया गया और 2018 से बोर्ड भंग है। आम सभा में लिए जाने वाले निर्णय के मुताबिक संस्था के चुनाव भी जल्द करवाए जाएंगे। दूसरी तरफ कलेक्टर मनीष सिंह इस तरह की सभी विवादित संस्थाओं की आमसभा करवाकर पीडि़तों को ही संस्था का संचालन सौंपना चाहते हैं।

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