इंदौर। अभी कोरोना (corona) की दूसरी लहर (second wave) में कई बच्चों (children) से माता-पिता (parents) का साया (destitute) छीन गया और ऐसे बेसहारा बच्चों (children) की मदद भी शासन-प्रशासन स्तर पर भी की जा रही है। पिछळे दिनों महिला बाल विकास विभाग (women and child development department) ने सिंगल पेरेंट ( single parent) बच्चों (children) की भी सूची बनाई थी, ताकि उन्हें स्कूल फीस (school fees) सहित अन्य मदद उपलब्ध करवाई जा सके। अभी तक 200 से ज्यादा बच्चों की सूची बन चुकी है। दूसरी तरफ कई लोग अनाथ हुए बच्चों (children) को गोद (adoption) भी लेना चाहते हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया काफी जटिल है। वहीं केन्द्रीय बाल संरक्षण आयोजित ने चेतावनी दी कि बिना वैधानिक प्रक्रिया अपनाए अगर बच्चे को गोद लिया तो 6 माह की सजा और 10 हजार का जुर्माना हो सकता है।
गोद (adoption) लेने की प्रक्रिया शुरू से ही इसलिए जटील कर रखी है ताकि उसका दुरुपयोग ना हो। दरअसल, पूर्व में ऐसे मामले आए, जिसमें विदेशियों (foreigners) ने भारत के अनाथ बच्चों (children) को गोद (adoption) लिया और फिर अपने देश ले जाकर उनके साथ अत्याचार तो किए ही वहीं उनका यौन उत्पीडऩ भी किया गया। इस तरह के मामले देश में भी सामने आते रहे हैं। यही कारण है कि गोद (adoption) लेने की प्रक्रिया कानूनी और जटील बनाई गई है, ताकि वास्तविक रूप से जो दम्पति बच्चों (children) को गोद (adoption) लेना चाहते हैं वही इस प्रक्रिया का सामना करें। अभी कोरोनाकाल (corona) में भी कई बच्चे (children) अनाथ हो गए। इंदौर में ही ऐसे बच्चों (children) की संख्या काफी है, जिनके माता-पिता या माँ अथवा पिता में से कोई एक कोरोना (corona) की भेंट चढ़ गया और अब लालन-पालन में परेशानी आ रही है। लिहाजा ऐसे कई बच्चों (children) को वे दम्पति गोद (adoption) लेना चाहते हैं जिनके अपने खुद के कोई बच्चे (children) नहीं हैं। वहीं केन्द्रीय बाल संरक्षण आयोग ने स्पष्ट किया है कि वैधानिक प्रक्रिया अपनाए बिना निराश्रित बच्चों (children) को गोद (adoption) लेने पर 6 माह तक सजा या 10 हजार जुर्माना या दोनों सजा एक साथ हो सकती है। आयोग द्वारा कहा गया है कि पूर्व के माह में शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि कई गैर सरकारी संगठन उन बच्चों के बारे में विज्ञापन प्रसारित कर रहे हैं, जो अनाथ हो गए हैं अथवा जिन्होंने कोविड संक्रमण के फलस्वरूप अपने परिवार को खो दिया है। गोद (adoption) लेना व देना एक वैधानिक प्रकिया है, जिसका पालन किया जाना अनिवार्य है। गोद (adoption) लेने व देने के लिए संपूर्ण भारत (india) में एकमात्र एवं एकीकृत प्रावधान, केन्द्रीय दत्तक ग्रहण अधिकरण (कारा) है। सामान्य व्यक्ति के लिए स्पष्ट किया गया है कि ऐसे निराश्रित व जरूरतमंद बच्चों के संबंध में सोशल मीडिया (social media) पर पोस्ट डालने से बचें एवं उनकी जानकारी चाइल्ड लाइन 1098, स्थानीय पुलिस, विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा कारा को सूचित कर दी जा सकती है। बच्चों (children) को गोद (adoption) लेने की पूरी प्रक्रिया सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्ट अथॉरिटी की वेबसाइट पर भी है, जिसमें रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। भावी दत्तक माता-पिता, जो किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, अगर विवाहित हैं तो पति-पत्नी की सहमति आवश्यक है और अकेली महिला किसी भी जेंडर के को गेद (adoption) ले सकती है, लेकिन अकेला पुरुष बेटी को गोद (adoption) लेने के योग्य नहीं माना गया है। जिनके 3 या 4 बच्चे हैं वे भी किसी बच्चे को गोद (adoption) नहीं ले सकते। वहीं भावी दत्तक माता-पिता के बीच न्यूनतम आयु का अंतर भी 25 साल से कम नहीं होना चाहिए।
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