भोपाल. कांग्रेस पार्टी से पलायन कर रहे नेताओं को लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बयान पर सियासी बवाल उठ खड़ा हुआ है. राहुल गांधी ने कांग्रेस (Congress) छोड़ने वाले लोगों को संघ (RSS) का बताते हुए कहा कि हमें निडर लोगों की जरूरत है. राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के दल बदलने पर कहा कि उन्हें अपना घर बचाना था, इसलिए वह डरकर संघ के पाले में चले गए. राहुल गांधी के सिंधिया को डरपोक बताए जाने पर बीजेपी भड़क उठी है. शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) में मंत्री और सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) ने राहुल गांधी पर जवाबी हमला बोला है.
गोविंद सिंह राजपूत ने राहुल गांधी के बयान पर कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा और बेबाक बोलने की समझ समेत किसी से ना डरना, निडरता से हर कोई परिचित है. गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि दूसरों के मकान पर पत्थर फेंकने से पहले सोच लीजिए आपका मकान भी शीशे का है. मंत्री ने राहुल गांधी को 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने को लेकर बताया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण ही 15 साल बाद कांग्रेस पुनर्जीवित हुई थी. इस बात को पूरा प्रदेश और पूरी कांग्रेस पार्टी जानती है. लेकिन इसका नतीजा पार्टी ने क्या दिया इसको भी आप भली-भांति जानते समझते होंगे. दुख तो इस बात का है कि आप की समझ को कोई समझ ही नहीं पाया.
दरअसल, 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को एमपी में जीत दिलाने के पीछे एक बड़ा रोल ज्योतिरादित्य सिंधिया का था, लेकिन पार्टी में तवज्जो नहीं मिलने के कारण सिंधिया ने ना सिर्फ राहुल गांधी से अपनी दोस्ती को तोड़ा, बल्कि दल बदल कर बीजेपी का दामन थाम लिया. जिसका इनाम सिंधिया को हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर दिया गया है. लेकिन सिंधिया के दल बदलने पर शुरुआती दौर में नरम रुख रखने वाले राहुल गांधी अब सिंधिया के खिलाफ जमकर बोल रहे हैं. मतलब साफ है कि राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की कभी गहरी रहने वाली दोस्ती में दरार भी गहरी होती जा रही है और यही कारण है कि अब सिंधिया समर्थक मंत्री भी राहुल गांधी के खिलाफ जमकर बयानबाजी कर रहे हैं.
बहराल राहुल गांधी के बयान से साफ है की पार्टी से अभी कुछ और नेताओं का पलायन हो सकता है, जिन्हें रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी के पास फिलहाल कोई प्लान नहीं है. पार्टी के नेताओं के हो रहे मोहभंग को लेकर राहुल गांधी भले ही भाजपा और संघ के डर का असर बता रहे हो, लेकिन हकीकत यह है कि राहुल के करीबी ही राहुल से अब दूर होते जा रहे हैं. जिसका जवाब कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को खोजना होगा देखना यह भी होगा कि राहुल गांधी के निडर लोगों को पार्टी में आने का न्योता देने का कितना असर होता है और कौन से चेहरे कांग्रेस पार्टी में शामिल होते हैं.
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