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    Corona की आड़ में अब Private School भी डाल रहे सरकार पर अड़ी

  • July 11, 2021

    • फीस वसूली समेत अन्य मांगें नहीं मानने पर कल से आनलाइन पढ़ाई भी बंद

    भोपाल। कोरोना (Corona) काल में अभी तक सरकारी विभागों के फ्रंटलाइन वर्कर (Frontline Worker) अपनी मांगों को मनमाने के लिए काम बंद हड़ताल कर सरकार पर दबाव डालते आ रहे हैं। इसी क्रम में अब निजी स्कूल (Private School) भी उतर आए हैं। प्रदेश में अभी तक स्कूल खुले नहीं है, इससे पहले ही स्कूलों ने अभिभावकों से बढ़ी हुई फीस वसूलन शुरू कर दिया है। जब अभिभावकों ने इसका विरोध किया तो सरकार ने बढ़ी हुई फीस वसूलने पर आदेश जारी कर रोक लगा दी है। इसके विरोध में निजी स्कूल (Private School) कल से ऑनलाइन पढ़ाई बंद करने जा रहे हैं। निजी स्कूलों (Private Schooles) द्वारा 12 जुलाई से हड़ताल कर ऑनलाइन पढ़ाई बंद करने की घोषणा के बाद अब अभिभावकों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। जबलपुर में जहां नागरिक उपभोक्ता मंच ने निजी स्कूल (Private School) एसोसिएशन (Association) को 48 घंटे का नोटिस भेजकर हड़ताल वापस लेने को कहा है तो भोपाल में पेरेंट्स (Parents) सरकार के ट्यूशन फीस लेने और तीसरी लहर की आशंका के चलते अभी स्कूल नहीं खोलने के निर्णय का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब पढ़ाई ऑनलाइन (Study Online) हो रही है तो हम पूरी फीस क्यों चुकाएं? यदि जरूरत पड़ी तो वे हड़ताल के विरोध में कोर्ट जाएंगे।

    सीएम कर चुके हैं सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने का ऐलान
    सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 6 जुलाई को स्कूल नहीं खोलने एवं सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेने का ऐलान किया था। 8 जुलाई को प्राइवेट स्कूलों की संस्था एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल्स मप्र के पदाधिकारियों ने इस घोषणा के विरोध में 12 जुलाई से स्कूल बंद करने की चेतावनी दे दी थी। इसी दिन शाम को सरकार ने ट्यूशन फीस लेने का आदेश भी जारी कर दिया था। इसके चलते प्राइवेट स्कूल संचालकों ने 12 जुलाई से ऑनलाइन पढ़ाई बंद करने एवं फस्र्ट टर्म यानि त्रैमासिक एग्जाम नहीं लेने की बात कहते हुए अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।

    निजी स्कूलों की ये मांग

    • स्कूल बंद करने का निर्णय तत्काल वापस लें।
    • निजी स्कूलों को आर्थिक पैकेज, बिजली बिल, संपत्ति कर, स्कूल वाहनों का रोड टैक्स, परमिट आदि में राहत प्रदान की जाए।
    • आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले बच्चों के एवज में बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
    • अभिभावक नियमित फीस न दे तो विलंब शुल्क देने के लिए बाध्य किया जाए।
    • बिना टीसी प्रवेश देने वाले विद्यालयों पर कार्रवाई करें।
    • फीस नहीं देने वाले बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट न किया जाए।
    • एमपी बोर्ड से संबद्ध स्कूलों की मान्यता का नवीनीकरण 5 वर्ष के लिए कर दिया जाए।

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