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    मप्रः राजस्व अर्जन बढ़ाने और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने के होंगे प्रयास

  • July 07, 2021

    भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोविड के कारण प्रदेश आर्थिक मोर्चे पर कठिन समय से गुजर रहा है। राज्य में विकास गतिविधियों और जन-कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। राजस्व अर्जन को बढ़ाने और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने के हरसंभव प्रयास होंगे। मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार को आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के अंतर्गत गठित राजस्व मंत्री समूह के प्रस्तुतिकरण की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

    बैठक में वाणिज्यिक कर तथा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, वन मंत्री विजय शाह, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, खनिज साधन एवं श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर दीपाली रस्तोगी उपस्थित थी। संबंधित विभागों के अधिकारी वर्चुअली सम्मिलित हुए। मंत्री समूह द्वारा वाणिज्यिक कर, आबकारी, वन, जन-निजी भागीदारी, नगरीय क्षेत्र प्रबंधन, शहरी विकास, उद्योग, गृह तथा सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अनुशंसाओं पर प्रस्तुतिकरण दिया गया।

    वाणिज्यिक कर:- टैक्स चोरी की पहचान करने और डाटा विश्लेषण के लिए एनालिटिकल टूल्स तथा डेटा शेयरिंग बढ़ाकर टैक्स रिसर्च एण्ड विंग को मजबूत किया जाएगा। ईमानदार करदाताओं को पुरस्कृत करने के लिए भामा शाह पुरस्कार योजना लागू करने की कार्रवाई जारी है। करदाताओं पर लंबी, पुरानी बकाया राशि के समाधान के लिए सरल समाधान योजना लाई जा रही है।

    आबकारी:- मदिरा दुकानों सहित आबकारी विभाग की संपूर्ण कार्य-प्रणाली के कम्प्यूटरीकरण के लिए ई-आबकारी साफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है। जनजातियों की आजीविका बढ़ाने और महुआ शराब के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए हैरिटेज लिकर पॉलिसी लाई जाएगी। प्रदेश में नई आसवनियों की स्थापना कर स्प्रिट और मदिरा निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था होगी।

    नगरीय निकाय:- निकायों द्वारा दी जाने वाली सार्वजनिक सुविधाओं जैसे वॉटर सप्लाय, सीवेज आदि के प्रभार को पुनरीक्षित करने पर विचार किया जा सकता है।

    वन:- प्रदेश में 35 लाख हेक्टेयर में डिग्रेडेड वन है। निवेशकों तथा वन समितियों के माध्यम से बाँस, टिंबर, चंदन इत्यादि के प्लांटेशन को प्रोत्साहित किया जा सकता है। अंडमान और निकोबार ने मध्यप्रदेश से प्लांटेशन के लिए भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। आगामी 3 वर्ष में लगभग एक हजार करोड़ रुपये के वित्तीय संसाधन प्राप्त होने की संभावना है। योजना में नर्मदा, ताप्ती, क्षिप्रा, चंबल, केन, बेतवा, सोन आदि नदियों के किनारे वृक्षारोपण किया गया है। गोवा सरकार से भी 10 करोड़ रुपये की सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो गई है। इस प्रकार की गतिविधियों को प्रोत्सहित किया जाएगा। ग्रीन कार्बन रेटिंग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय निवेश के लिए भी प्रयास किया जा रहा है। टिंबर और अन्य वन उत्पादों के विक्रय से 800 करोड़ रुपये की आय प्राप्त होती है। वन विभाग द्वारा ई-ऑक्शन प्रणाली लागू की जा रही है। इससे 50 करोड़ रुपये के लाभ की आशा है। हर्बल उत्पादों के ऑनलाइन विपणन को प्रोत्साहित किया जाएगा।

    शहरी विकास:- गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिए झुग्गीवासियों को भूमि स्वामी अधिकार देकर झुग्गी पुनर्विकास की सुविधा के लिए धारावी मॉडल पर कार्रवाई की जाएगी। इसके अंतर्गत पट्टे पर दी गई जमीन की पुलिंग कर सहकारिता के आधार पर भूमि का व्यावसायिक उपयोग प्रस्तावित है। नगरीय विकास योजनाओं में वर्टिकल डेवलपमेंट को प्रोत्साहित किया जाएगा। नगरीय क्षेत्रों के भू-अभिलेखों के डिजिटिलाईजेशन के बाद भू-राजस्व वसूली के अधिकार शहरी, स्थानीय निकायों को दिए जाएं। अनियमित निर्माण तथा अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए एफएआर को अधिक व्यवहारिक बनाया जाए।

    उद्योग:- ऐसे औद्योगिक क्षेत्र जिनमें भूमि का विक्रय नहीं हो पा रहा है, उसके विक्रय के लिए दरों का युक्तियुक्तकरण किया जाए। विभिन्न शासकीय विभागों की शहरों के अंदर उपलब्ध तथा शहरों से लगी भूमि प्रदूषण नहीं करने वाले उद्योगों को उपलब्ध कराई जा सकती है।

    बैठक में राजसात किए वाहनों को नीलाम करने, शासकीय आवासीय कॉलोनियों के पुनर्घनत्वीकरण, बचत से राजस्व के बेहतर उपयोग, मानव संसाधन के युक्तियुक्तकरण संबंधी अनुशंसाओं पर भी विचार-विमर्श हुआ। (एजेंसी, हि.स.)

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