उज्जैन। देवास रोड पर गंगा विहार कॉलोनी की जांच रिपोर्ट में कोताही बरतने वाले विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों समेत 8 कर्मियों का वेतन रोकने की कार्रवाई हाल ही में सीईओ ने की है। कमेटी के इन सदस्यों को 18 महीने पहले गंगा विहार कॉलोनी में हुई कई अनियमितताओं की जाँच 7 दिन में कर रिपोर्ट सौंपने के आदेश हुए थे। 7 दिन का यह काम कमेटी के सदस्य 18 महीने में भी नहीं कर पाए। हैरत की बात है कि जाँच कमेटी में जितने भी अधिकारी कर्मचारी शामिल हैं उन्हें विकास प्राधिकरण में काम करते हुए 20 से 25 साल हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि यूडीए सीईओ सोजान सिंह रावत ने प्राधिकरण के 6 इंजीनियर सहित 8 लोगों का वेतन रोकने के आदेश पिछले महीने 29 जून को जारी किए थे। आदेश पत्र में 18 महीने पहले 17 जनवरी 2020 को जारी आदेश की अवमानना का हवाला दिया गया है। इसमें गंगा विहार योजना को लेकर अंबेश गृह निर्माण सहकारी संस्था से किए एग्रीमेंट, भू-अर्जन तथा विकास कार्य की स्थिति, प्लॉट व्ययन और योजना में बाकी बची जमीन के लिए सीईओ की ओर से 9 सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को इन बिन्दुओं पर अपनी जाँच रिपोर्ट बनाकर 7 दिन में पेश करनी थी लेकिन 7 दिन तो दूर 17 जनवरी 2020 से लेकर इस साल 29 जून तक कमेटी के सदस्यों ने कोई जाँच रिपोर्ट पेश नहीं की। इसी के चलते सीईओ सौजानसिंह रावत ने इन सभी का जून माह का वेतन रोकने के आदेश जारी कर दिए। इस कार्रवाई के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि इतने बड़े मामले में सिर्फ एक महीने का वेतन रोकने के आदेश को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं चल रही है।
इन बिन्दुओं पर होनी थी जाँच
18 महीने पहले 17 जनवरी को जारी आदेश के अनुसार जाँच कमेटी के सभी 9 सदस्यों को गंगा विहार कॉलोनी में भू अर्जन की स्थिति, गृह निर्माण संस्थाओं से संबंधित अनुबंध की जानकारी, कितने मामले न्यायालय में चल रहे हैं। कॉलोनी में कुल कितने निर्माण और कितने भूखंड खाली है। इसके अलावा कितनों को व्ययन किया जा चुका है। इसकी जानकारी देने की बजाय इतने महीनों में जाँच से संबंधित कई फाइलें गायब हो गई। तब जाकर यह मामला यहाँ तक पहुँचा।
20-20 साल से जमे हुए हैं प्राधिकरण में
गंगा विहार कॉलोनी गड़बड़ी मामले में जाँच कमेटी में शामिल किए गए विकास प्राधिकरण के मौजूदा उपरोक्त इंजीनियरों और कर्मचारियों में से यह सभी विभाग में पिछले 20 सालों से जमे हुए हैं। इस अवधि में इनमें से किसी का भी अन्यत्र तबादला नहीं हुआ है। इनमें से एक वरिष्ठ संपदा अधिकारी समेत 4 लोग ऐसे हैं जो विकास प्राधिकरण में ही 25 साल से जमे हुए हैं। विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि लंबे समय तक एक जगह जम रहने के चलते ही सालों से प्राधिकरण की योजनाओं में गड़बडिय़ां चल रही है। कई मामलों में तो ऐसा भी हुआ है कि जिस मामले की जाँच की जा रही है उसी मामले में जाँच अधिकारी भी उन्हीं अधिकारियों-कर्मचारियों को बनाया गया है।
ये थे जाँच कमेटी में शामिल
सीईओ रावत ने 17 जनवरी 2020 को संपदा अधिकारी जयदीप शर्मा, सहायक यंत्री एसके साध, महेशचंद्र गुप्ता, उपयंत्री सुनील नागर, आरके त्रिपाठी, विवेक भावसार और विकास नागर सहित उपयंत्री अरूणकुमार सिंह कुल 9 इंजीनियरों और कर्मचारियों को पूरे मामले की जाँच सौंपी थी। हालांकि इस साल इनमें से एक उपयंत्री अरूणकुमार सिंह का पिछले दिनों बीमारी के चलते निधन हो चुका है।
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