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    प्रेसवार्ता में अपने काम गिनाकर चले गए मुख्‍यमंत्री तीरथ सिंह रावत, बीजेपी विधायक दल की बैठक कल

  • July 02, 2021

    देहरादून। उत्तराखंड में सियासी संकट के बीच मुख्‍यमंत्री तीरथ सिंह रावत(Chief Minister Tirath Singh Rawat) ने प्रेसवार्ता कर सबको चौंका दिया। अटकलें थीं कि मुख्‍यमंत्री तीरथ सिंह रावत(Chief Minister Tirath Singh Rawat) प्रेसवार्ता में अपने पद से इस्तीफे का एलान कर सकते हैं। लेकिन इस दौरान उन्होंने बाकी किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर बोलने की बजाय अपनी सरकार के काम गिनाए और चले गए। माना जा रहा है कल यानी शनिवार को मुख्‍यमंत्री तीरथ सिंह रावत(Chief Minister Tirath Singh Rawat) इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं। दरअसल शनिवार को ही देहरादून में बीजेपी विधायक दल की बैठक (BJP legislature party meeting) आयोजित की जाएगी। सभी भाजपा विधायकों को 11 बजे तक बैठक में पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।



    प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने कोविड को लेकर राहत देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विद्यालयी शिक्षा, संस्कृति एवं सूचना और पर्यटन समेत कई क्षेत्रों में सहायता दी गई है। बड़ी संख्या में प्रदेश में रोजगार के लिए अवसर पैदा किए गए हैं। राजकीय विभागों में सीधी नियुक्ति के प्रयास किए गए हैं। कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों के लिए निशुल्क किताबें देने की योजना तैयार की गई है।
    बता दें कि तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। अपने 115 दिन के कार्यकाल के बाद आज ही उन्होंने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस्तीफे की पेशकश की थी। सूत्रों के अनुसार तीरथ सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिए खत में कहा है कि वे पार्टी के सामने कोई संकट नहीं पैदा करना चाहते हैं और इसलिए वे अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर रहे हैं।
    उनका कहना था कि पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना जरूरी था। प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है। चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है और इसमें साल भर से कम समय बचा है। ऐसे में लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 ए के तहत अब इस स्थिति में उप-चुनाव नहीं हो सकता है।

    बता दें कि तीरथ रावत से पहले भी चार सांसद उत्तराखंड के सीएम बन चुके हैं। इनको विधानसभा सदस्य बनने के लिए बाद में उपचुनाव लड़ना पड़ा था। इस परंपरा की शुरुआत 2002 में तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने की थी।
    वह नैनीताल से लोकसभा के सांसद थे। सीएम बनने के बाद उन्होंने रामनगर विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता था। इसी तरह पौड़ी गढ़वाल से ही सांसद रह चुके भुवन चंद्र खंडूड़ी राज्य का सीएम बनने के बाद धूमाकोट से विधायक बने।
    इसके बाद टिहरी से सांसद विजय बहुगुणा जब कांग्रेस की ओर से सीएम बने तो उन्होंने सितारगंज से विधानसभा का चुनाव जीता था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत जब सीएम बने तब उन्होंने धारचूला से विधानसभा का चुनाव जीता था। उनके लिए पार्टी के ही विधायक हरीश धामी ने सीट छोड़ी थी।

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