नई दिल्ली: डेटा गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़ी एक मीटिंग में गूगल की तरफ से बड़ी बात कही गई है. सूत्रों के मुताबिक, बताया गया है कि ‘ओके गूगल’ करके जब गूगल असिस्टेंट से कुछ पूछा जाता है, या बात की जाती है, उस रिकॉर्डिंग को गूगल के कर्मचारी भी सुन सकते हैं. गूगल की तरफ से यह जानकारी सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति को दी गई है. ये जानकारी पहले से ही पब्लिक डोमेन में है और कंपनी ने कुछ साल पहले खुद ही ये बात कही थी.
शशि थरूर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इसे उपयोगकर्ता की गोपनीयता का गंभीर उल्लंघन माना है. इसपर कमेटी जल्द रिपोर्ट तैयार करके सरकार को आगे के कुछ सुझाव देगी. पैनल के सूत्रों ने बताया है कि गूगल ने माना कि जब यूजर्स गूगल असिस्टेंट शुरू करके ‘ओके, गूगल’ बोलकर बात करते हैं, उसे उनके कर्मचारी सुन सकते हैं.
2019 में गूगल प्रोडक्ट मैनेजर (सर्च) डेविड मोनसी ने एक ब्लॉग में भी इस बात को स्वीकारा था कि उनके भाषा एक्सपर्ट रिकॉर्डिंग को सुनते हैं जिससे गूगल स्पीच सर्विस को ज्यादा बेहतर बनाया जा सके. गूगल की दलील ये होती है कि वो स्पीच रिकॉर्गनिशन को बेहतर करने के लिए बातचीत सुनता है. इसे लेकर अमेरिका में भी सांसदों ने गूगल से सवाल किया था और कुछ जगहों पर इसे लेकर मुकदमा भी हो चुका है.
बीजेपी सांसद ने गूगल से पूछा था सवाल
मीटिंग में झारखंड से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की तरफ से इससे जुड़ा सवाल गूगल से पूछा गया था. इसपर गूगल टीम ने माना कि कभी-कभी जब यूजर्स वर्चुअल असिस्टेंट का इस्तेमाल नहीं भी करते, तब भी उनकी बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है. गूगल की तरफ से आगे सफाई दी गई कि संवेदनशील जानकारी को यहां नहीं सुना जाता, सिर्फ सामान्य बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है. हालांकि, गूगल की तरफ से यह साफ नहीं किया गया कि दोनों में वह फर्क किस तरह करता है.
मीटिंग में मौजूद सदस्यों ने गूगल को घेरा भी. एक ने कहा कि गूगल के मानने के बाद समझ आता है कि गूगल असिस्टेंट पर होटल आदि के बारे में पूछने के बाद क्यों लाखों यूजर्स के पास डील्स और ऑफर्स के मेसेज आने लगते हैं. वहीं दूसरे सदस्य ने कहा कि अपनी शर्तों में गूगल यह तो बताता है कि गूगल स्मार्ट स्पीकर्स और गूगल असिस्टेंट से बातचीत रिकॉर्ड की जाती है. लेकिन यह नहीं बताया गया था कि उन रिकॉर्डिंग्स को उसके कर्मचारी सुन भी सकते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) की तरफ से सीनियर अधिकारी ने बताया है कि सरकार इस मामले को देख रही है कि गूगल जैसी कंपनी जमा डेटा को डिलीट नहीं करती. जबतक कि यूजर उसे खुद डिलीट ना कर दे. मिली जानकारी के मुताबिक, मीटिंग में गूगल की तरफ से अमन जैन (सरकारी मामलों और सार्वजनिक नीति के हेड) और लीगल डायरेक्टर गीतांजली दुग्गल शामिल हुई थीं.
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