नई दिल्ली। पांच मिनट के अंतराल पर हुए दो धमाकों ने जम्मू एयरफोर्स स्टेशन (air force station) की सुरक्षा को लेकर सभी को चिंता में डाल दिया है। शुरुआती जांच में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा। सुरक्षा एजेंसियों को इस बात संदेह है कि आतंकियों ने एयर बेस के काफी करीब से ही ड्रोन को लॉन्च किया था। अब ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि आतंकियों के द्वारा इस्तेमाल में लाए गए ड्रोन काफी छोटे थे, ऐसे में हमला करने के लिए उनका ज्यादा पास जाना जरूरी था। कहा जा रहा है कि आतंकियों का मकसद हेलीकॉप्टरों को नुकसान पहुंचाने का था।
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि आतंकियों के द्वारा इस्तेमाल में लाए गए ड्रोन काफी छोटे थे, ऐसे में हमला करने के लिए उनका ज्यादा पास जाना जरूरी था। अभी के लिए इस घटना के बाद कई एजेंसियां जांच में लगी हुई हैं। कहा जा रहा है कि घटना से जुड़े कई पहलू जांच के बाद साफ हो जाएंगे। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी एयर बेस (air Base) को हाई अलर्ट पर कर दिया गया है।
राहत की बात यह है कि किसी भी एयरक्राफ्ट (aircraft) को इस हमले में नुकसान नहीं पहुंचा है, लेकिन दो जवान मामूली रूप से घायल हुए। वहीं, जो धमाके हुए थे, उनमें से एक तो खुले एरिया में ही हो गया था तो वहीं दूसरा जम्मू एयरफोर्स स्टेशन की छत पर गिरा था जिस वजह से मामूली नुकसान देखने को मिला।
शुरुआती जांच में आया ये सामने
शुरुआती जांच के बाद ये भी कहा जा रहा है कि हमले में इस्तेमाल किए गए ड्रोन कम उड़ान के लिए बनाए गए थे। आतंकियों का मकसद जम्मू एयरफोर्स स्टेशन में मौजूद हेलीकॉप्टर को नुकसान पहुंचाना था, लेकिन वो अपने उन मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए हैं। यह हमला ड्रोन अटैक कहा जा रहा है और यह संभवत: देश में किसी रक्षा प्रतिष्ठान पर पहला ड्रोन हमला है। सूत्रों ने बताया कि वायुसेना (Air Force) के गश्ती दल ने गोला बारूद गिरते देखा था। अभी के लिए सबूत जुटाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की टीम और स्पेशल फोर्स की टीम भी स्टेशन पर तैनात हैं।
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