इस्लामाबाद। FATF के फैसले पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Pakistan’s Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi) ने भारत (India) पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) को एफएटीएफ (FATF ) की ग्रे लिस्ट (gray list) में बनाए रखने का कोई कारण नहीं था जबकि उसने अपेक्षा के 27 बिंदुओं में से 26 पर उल्लेखनीय कार्रवाई कर दिखाई है। पाकिस्तान के खिलाफ यह फैसला कुछ ताकतों के दबाव के चलते हुआ।
शुक्रवार को हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स Financial Action Task Force (FATF) की बैठक में पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला किया गया है। इस फैसले का संदेश है कि के पाकिस्तान विदेशी निवेश और कर्ज देने के लिए सुरक्षित जगह नहीं है। वहां पर आतंकी संगठनों का अपना अर्थतंत्र है जिसमें अवैध रूप से धन का लेन-देन होता है। कुरैशी ने इसके जवाब में कहा है कि कुछ ताकतें वैश्विक मंच को राजनीतिक मकसद के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। उनका उद्देश्य पाकिस्तान को बदनाम कर उसे ग्रे लिस्ट में बनवाए रखना है। जबकि एफएटीएफ ने खुद स्वीकार किया कि उसके द्वारा निर्धारित 27 बिंदुओं में से 26 पर पाकिस्तान काम कर रहा है। बावजूद इसके राजनीतिक कारणों से उसे ग्रे लिस्ट में बनाए रखा गया। इससे पता चलता है कि एफएटीएफ सिर्फ टेक्निकल फोरम ही नहीं है। वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा था कि पाकिस्तान सरकार काले धन के अवैध रूप से लेन-देन के खतरे को खत्म कर पाने में विफल रही है। इस धन से भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और आतंकी संगठनों को सहायता मिल रही है। एफएटीएफ ने कहा है कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी सरगना हाफिज सईद और मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें दंडित करे।