- शॉपिंग सर्वे के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाकर आनंद बाजार में खोला दफ्तर… कई लोगों को लगाया चूना
इन्दौर। एक तरफ पुलिस-प्रशासन (Police-administration) ने भूमाफियाओं (land mafia) के खिलाफ ठप पड़ी मुहिम शुरू की, वहीं ठगोरी कम्पनियों (Fraud companies) के खिलाफ भीे जांच शुरू हो गई है। ईओडब्ल्यू (EOW) ने दो गुना धन देने का लालच देने वाली कम्पनी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। 1 करोड़ 70 हजार रुपए का चूना कम्पनी (company) ने सैकड़ों लोगों के साथ ठगी करते हुए लगा लिया। शॉपिंग सर्वे के नाम से एक फर्जी वेबसाइट बनाई और आनंद बाजार में दफ्तर खोल लोगों को दो गुना-तीन गुना धन वापस करने का लालच देकर जोड़ा और फिर जमा राशि हड़पकर दफ्तर बंद कर फरार हो गए।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पिछले दिनों सभी तरह के माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करवाई, जिसमें राशन, खनन, ड्रग के साथ-साथ जमीनी और फर्जी कम्पनियां बनाकर लोगों को ठगने वाली चिटफंड कम्पनियां भी शामिल रही। इंदौर में पूर्व में भी इस तरह की बोगस कम्पनियों के खिलाफ पुलिस-प्रशासन कार्रवाई कर चुका है। इसी कड़ी में राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो यानी ईओडब्ल्यू की इंदौर इकाई ने एक कम्पनी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। ईओडब्ल्यू (EWO) इंदौर (Indore) के एसपी धनंजय शाह ने एक जानकारी में बताया कि मुख्यालय भोपाल (Bhopal) से प्राप्त एसटीआर क्रमांक 27/19 की जांच निरीक्षक कैलाश पाटीदार से करवाई गई। इस जांच में पाया गया कि जनवरी 2016 से अक्टूबर 2016 के बीच 10 महीने में मेसर्स डीजी इन्फो सॉल्यूशन कम्पनी के संचालक राकेश सिंह पिता विक्रम सिंह निवासी बोगना थाना मर्दाहा जिला गाजीपुर उत्तरप्रदेश (Uttarpradesh) तथा वरुण तेकाम पिता मन्नूलाल निवासी ग्राम दमुआ जिला छिंदवाड़ा के द्वारा 208, जोबट अपार्टमेंट, 18/3, ओल्ड पलासिया आनंद बाजार इंदौर (Indore) में किराए पर दफ्तर लेकर शॉपिंग सर्वे नाम की वेबसाइट बनाई और फिर सोशल मीडिया (Socialmedia) के प्लेटफॉर्म फेसबुक, व्हाट्सएप के अलावा इंटरनेट (Internet) के जरिए लोगों से सम्पर्क किया और मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान के लोगों को इस फर्जी वेबसाइट (Wepsite) पर एड यानी विज्ञापन देखने के एवज में जमा राशि का दो गुना-तीन गुना धन वापस करने का लालच देकर जोड़ लिया। आईडी-पासवर्ड देकर 10 माह में सैंकड़ों लोगों से 1 करोड़ 70 हजार रुपए कम्पनी के बैंक खाते में जमा करवाए गए और फिर ऑफिस बंद कर फरार हो गए। एसटीआर की जांच के आधार पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने अपराध पंजीबद्ध कर जांच शुरू की। प्रकरण की जांच निरीक्षक कैलाश पाटीदार और आरक्षक राकेश जटिया द्वारा भी की जा रही है।