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    क्‍या FATF पाकिस्‍तान को करेगा ब्लैकलिस्ट, फैसला आज

  • June 25, 2021

    इस्लामाबाद। मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) और टेरर फाइनेंसिंग (Terror Financing) पर निगाह रखने वाली संस्था फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स financial action task force(FATF) आज पाकिस्तान (Pakistan) के भविष्य का ऐलान करने वाली है। आज शाम को यह तय हो जाएगा कि पाकिस्तान(Pakistan) एफएटीएफ (FATF) की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा या फिर उसे ब्लैकलिस्ट (blacklist) किया जाएगा। बैठक में शामिल पांच देशों में से चार पाकिस्तान के आतंकवाद को लेकर किए गए काम से असंतुष्ट हैं। इस बैठक में शामिल चीन (China) अपने मित्र देश पाकिस्तान को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। वहीं पाकिस्तान का आरोप है कि भारत(India) इस मंच का उपयोग राजनीतिक हित साधने के लिए कर रहा है।
    FATF की बैठक से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को एक बार फिर छह महीनों के लिए एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा जा सकता है। दरअसल, इस वैश्विक संस्था ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें पाकिस्तान ने 27 कार्यबिंदुओं में से अबतक केवल 26 को ही पूरा किया है। पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने इंटरनेशनल कोऑपरेशन रिव्यू ग्रुप (आईसीआरजी) की ऑनलाइन मीटिंग में पाकिस्तान की प्रगति की समीक्षा की है।


    कौन से देश करेंगे पाकिस्तान के भविष्य का फैसला?
    इस समूह में चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने FATF के 27 सूत्री ऐक्शन प्लान में से 26 को लागू कर दिया है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि उसे एफएटीएफ की बैठक से कोई अच्छी खबर मिल सकती है। वहीं, पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी आरोप लगाया है कि भारत एफएटीएफ का उपयोग अपने राजनीतिक हित साधने के लिए कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक तकनीकी मंच है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक हितों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

    एफएटीएफ के 27 में से 26 नियमों को माना पाकिस्तान
    सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी को देखते हुए पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने की संभावना है। पाकिस्तान को एफएटीएफ के बाकी बचे एक बिंदु को लागू करने के लिए कम से कम दो से तीन महीने और लगेंगे। ऐसे में अमेरिका, भारत, फ्रांस और ब्रिटेन कोई भी छूट देने के लिए तैयार नहीं होने वाले हैं। हालांकि, प्रदर्शन के मामले में पाकिस्तान बहुत आशावादी है कि उसे FATF से अच्छी खबर मिलेगी।

    ग्रे लिस्ट में बना रहा पाकिस्तान तो क्या होगा असर
    अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की इस बैठक में भी ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और खराब हो जाएगी। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है। क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है।

    2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था पाकिस्तान
    पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है।

    ईरान और उत्तर कोरिया पहले से हैं ब्लैकलिस्टेड
    एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान को उसी श्रेणी में रखा जाएगा जिसमें ईरान और उत्तर कोरिया को रखा गया है और इसका मतलब यह होगा कि वह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से कोई ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगा। इससे अन्य देशों के साथ वित्तीय डील करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

    क्या है एफएटीएफ
    फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है। इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।

    क्या करता है एफएटीएफ
    एफएटीएफ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को दुरुपयोग से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कमजोरियों की पहचान करने के लिए काम करता है। अक्टूबर 2001 में एफएटीएफ ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को शामिल किया। जबकि अप्रैल 2012 में इनकी कार्यसूची में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के प्रयासों को जोड़ा गया।एफएटीएफ अपने द्वारा दी गई सिफारिशों को लागू करने में देशों की प्रगति की निगरानी करता है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की तकनीकों को खत्म करने की उपायों की समीक्षा करता है। इसके साथ ही एफएटीएफ विश्व स्तर पर अपनी सिफारिशों को अपनाने और लागू करने को बढ़ावा देता है।

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